Una News: हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के उपमंडल बंगाणा की बल्ह पंचायत में एक हृदयविदारक घटना घटी। छपरोह खड्ड में तीन किशोर बहनों के डूबने से उनकी मौत हो गई। यह घटना वीरवार को तब हुई जब लड़कियाँ स्कूल का बैग धोने खड्ड पर गई थीं। एक के पैर फिसलने और गहरे पानी में गिरने पर बाकी दो ने उसे बचाने की कोशिश की, लेकिन तीनों तेज बहाव में बह गईं।
ये तीनों बचनें रिश्ते में बहनें थीं। कोमल और सोनाक्षी दो सगी बहनें थीं, जबकि खुशी उनकी मौसी की बेटी थी। कोमल आठवीं कक्षा में पढ़ती थी। सोनाक्षी और खुशी दोनों नवमी कक्षा की छात्रा थीं। तीनों एक साथ रहती और पढ़ती थीं।
मूल रूप से लिदकोट गांव के रहने वाले अजय नामक व्यक्ति ने बच्चियों की बेहतर शिक्षा के लिए एक बड़ा फैसला लिया था। उन्होंने अपने गांव चुल्हड़ी के स्कूल में शिक्षकों की कमी के चलते बल्ह स्कूल के नजदीक किराये का मकान ले लिया था। उनकी मौसी की बेटी भी उनके साथ ही पढ़ने और रहने लगी थी।
घटना का मंजर
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, दुर्भाग्यपूर्ण दिन बच्चियां छपरोह खड्ड में अपने स्कूल बैग धोने गई थीं। अचानक एक बच्ची का पैर फिसल गया और वह गहरे पानी में जा गिरी। इसके बाद जो हुआ वह बेहद दुखद था। उसे बचाने के लिए दूसरी दो बच्चियों ने भी तुरंत पानी में छलांग लगा दी।
तेज बहाव और पानी की गहराई ने तीनों मासूमों की जिंदगी छीन ली। तीनों बहनें एक-दूसरे की जान बचाने की कोशिश में खुद मौत के मुंह में समा गईं। यह घटना पूरे परिवार और इलाके के लिए एक बड़ा सदमा बन गई है।
शिक्षा की चाहत में लिया गया फैसला जानलेवा साबित हुआ
अजय और उनकी पत्नी का सपना सिर्फ इतना था कि उनकी बेटियां अच्छी शिक्षा पा सकें। इसी उद्देश्य से उन्होंने अपना गांव छोड़ा और बल्ह में किराये का मकान लिया। उन्हें क्या अंदाजा था कि शिक्षा का यह सफर उनकी बेटियों की जिंदगी का आखिरी सफर साबित होगा।
घटना के समय परिवार की कोई भी महिला सदस्य घर पर मौजूद नहीं थी। एक महिला सदस्य अपने पति के पास शहर गई हुई थीं। इस तरह बच्चियां घर पर अकेली थीं।
ग्रामीणों ने उठाए सवाल
स्थानीय ग्रामीण इस घटना से स्तब्ध और क्रोधित हैं। उनका सीधा आरोप है कि अगर चुल्हड़ी स्कूल में पर्याप्त शिक्षक होते, तो अजय को बच्चियों की पढ़ाई के लिए गांव से बाहर जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। ग्रामीणों का मानना है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी इस दुर्घटना की मुख्य वजह बनी।
उनका कहना है कि सरकारी शिक्षा व्यवस्था की यह लापरवाही तीन मासूम जिंदगियों की कीमत पर सामने आई है। यह घटना सिर्फ एक परिवार का दुख नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है।
ऊना जिले में डूबने की घटनाओं का इतिहास
यह ऊना जिले में डूबने की पहली घटना नहीं है। 2021 में अंदरोली में गोबिंद सागर झील में सात युवकों की डूबने से मौत हो गई थी। 2022 में स्वां नदी में दो युवक डूब गए थे। 2024 में रायपुर सहोड़ा में तालाब में नहाते समय तीन बच्चों की जान चली गई थी।
इसी साल 2025 में ब्रह्मोति मंदिर के निकट सतलुज नदी में नहाने गए दो युवकों के डूबने से मौत की खबर आई थी। ये लगातार घटनाएं जल निकायों के पास सुरक्षा उपायों के अभाव की ओर इशारा करती हैं।
इस दुखद घटना ने न सिर्फ एक परिवार को तबाह कर दिया, बल्कि ग्रामीण इलाकों में शिक्षा की दयनीय स्थिति को भी उजागर कर दिया है। तीनों बच्चियों की असमय मौत ने पूरे क्षेत्र को शोक में डुबो दिया है।
