हम महिला सुरक्षा के मामले में जितने मर्जी झूठ बोले या महिलाओं पर अत्याचारों को जितना मर्जी न्यायोचित ठहराने की कोशिश करें। लेकिन सच यही है कि हिमाचल अब महिलाओं और लड़कियों के लिए सुरक्षित नहीं रह गया है। महिलाओं को न्याय दिलाने वाली एजेंसियां सही से काम नहीं करती और यह प्रदेश में महिलाओं और लड़कियों के सुरक्षित नहीं होने का मुख्य है। पिछले एक साल की कुछ घटनाओं की बात करें तो कांगड़ा में एक लड़की ने इसलिए आत्महत्या कर ली क्योंकि पुलिस जून 2020 से नवम्बर 2020 तक आरोपी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। एक मुस्लिम लड़की के साथ प्यार का नाटक करके शादी की गई और उसका धर्म परिवर्तन करवा कर छोड़ दिया। दो महीने पहले बिलासपुर में एक 12 की लड़की सामूहिक बलात्कार की शिकार बनाई गई। पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार भी किया लेकिन कार्यवाही करने से पहले पीड़ित नाबालिग लड़की के साथ पुलिस वालों ने मारपीट और प्रताड़ना की। कांगड़ा में ही शाहपुर में एक महिला को उसके पति ने धारधार हथियार से लहुलूहान कर दिया और उपरोक्त किसी भी केस में पुलिस ने कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की। अपराधी आज भी खुले आम घूम रहे है। जिससे दुसरे लोगों के हौसले बढ़ते है और महिलाओं और लड़कियों पर अत्याचारों के मामलों में बढ़ोतरी होती है।
आज हिमाचल प्रदेश की राजधानी में पुलिस विभाग की रिव्यू बैठक का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता महामहिम राज्यपाल बंडारू दतात्रेय ने की। बैठक कमें हिमाचल प्रदेश में महिलों और लडकियों की सुरक्षा को लेकर जो जानकारी सामने रखी गई जोकि बेहद चिंताजनक है। हिमाचल में आए दिन महिलाओं और लड़कियों पर अत्याचार, शोषण और प्रताड़ना के केस बढ़ते जा रहे है।
इस बैठक में बताया गया कि हिमाचल के कांगड़ा, मंडी और और शिमला में महिलाओं और लड़कियों के अपराधों का रेट ज्यादा है। जबकि अन्य जिलों में इतना ज्यादा अत्याचार महिलाओं और लडकियों पर नहीं होता है। पुलिस महानिदेशक ने माना कि महिलाओं और लड़कियों पर सबसे ज्यादा अत्याचार उनके जानने वाले, घर वाले या जन पहचान के लोग या रिश्तेदार करते है। उन्होंने यह भी बताया कि हिमाचल में युवा लड़कियाँ ही बलात्कार और अपहरण की शिकार होती है। उनका कहना था कि ऐसा लगता है कि घटिया मानसिकता वाले लोग इस समाज में रह रहे हैं। ज्यादातर महिलाओं पर अत्याचार करने वाले नशे में धुत होते है। इसके साथ साथ उन्होंने महिलाओं और लड़कियों के साथ होने वाले साइबर अपराधों के बारे भी बात की। उनका मानना था की स्कूलों और कॉलेजों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाए ताकि स्कूलों में होने वाले अपराधों में अपराधी को पकड़ा जा सके। इसके अलावा डीजीपी ने कहा कि सरकार ने पोक्सो एक्ट में संलिप्त सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना शुरू कर दिया है। पुलिस विभाग ऐसे मामलों को सख्ती से ले रहा है। इसके अलावा स्कूल, कालेजों में ज्यादा ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं।
महामहिम राज्यपाल ने [पुलिस के प्रयासों की सराहना की और आश्वाशन दिया कि वह स्कूलों और कॉलेजों ने सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए स्वयं सरकार से बात करेंगेइसके अलावा डीजीपी ने कहा कि सरकार ने पोक्सो एक्ट में संलिप्त सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना शुरू कर दिया है। पुलिस विभाग ऐसे मामलों को सख्ती से ले रहा है। इसके अलावा स्कूल, कालेजों में ज्यादा ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं। बैठक में बहुत से अधिकारीयों और कर्मचारियों ने भाग लियाइसके अलावा डीजीपी ने कहा कि सरकार ने पोक्सो एक्ट में संलिप्त सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना शुरू कर दिया है। पुलिस विभाग ऐसे मामलों को सख्ती से ले रहा है। इसके अलावा स्कूल, कालेजों में ज्यादा ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं। बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव निशा सिंह, डीजीपी संजय कुंड्डू, डायरेक्टर आशुतोष गर्ग के साथ पुलिस विभाग के अन्य आला अधिकारी भी मौजूद थे।