Tbilisi News: जॉर्जिया की राजधानी त्बिलिसी में सरकार विरोधी प्रदर्शन हिंसक हो गए हैं। हजारों प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को राष्ट्रपति भवन पर धावा बोलने की कोशिश की। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। यह विरोध हाल ही में हुए स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर है, जिनका अधिकांश विपक्षी दलों ने बहिष्कार किया था।
प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन की बैरिकेडिंग तोड़ने का प्रयास किया। इसके बाद सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने पेपर स्प्रे का भी इस्तेमाल किया। कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए और पूरे इलाके में तनाव का माहौल बन गया।
चुनावी विवाद ने बढ़ाई आग
यह विवाद स्थानीय चुनावों के नतीजों को लेकर भड़का है। सत्तारूढ़ जॉर्जियन ड्रीम पार्टी ने दावा किया कि उसने राजधानी त्बिलिसी सहित सभी 64 नगर पालिकाओं में जीत दर्ज की है। विपक्षी दलों ने इन चुनाव परिणामों को अवैध करार दिया है। उनका आरोप है कि चुनावों में बड़े पैमाने पर धांधली हुई है।
पिछले साल हुए संसदीय चुनावों से ही देश में राजनीतिक संकट बना हुआ है। अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने भी उन चुनावों में अनियमितताओं की बात कही थी। इस पृष्ठभूमि में हाल के स्थानीय चुनावों ने विपक्ष और प्रदर्शनकारियों का गुस्सा और बढ़ा दिया है।
यूरोपीय संघ को लेकर है मतभेद
जॉर्जिया की वर्तमान सरकार पर प्रदर्शनकारी रूस समर्थक होने का आरोप लगा रहे हैं। विपक्षी दल यूरोपीय संघ के साथ मजबूत संबंध चाहते हैं। प्रधानमंत्री इराकली कोबाखिद्ज़े की सरकार ने पिछले साल यूरोपीय संघ में शामिल होने की वार्ता को स्थगित कर दिया था। इस फैसले ने जनता के गुस्से को और हवा दी।
प्रदर्शनकारी त्बिलिसी के फ्रीडम स्क्वायर से रुस्तवेली एवेन्यू होते हुए राष्ट्रपति भवन तक पहुंचे। वे जॉर्जिया और यूरोपीय संघ के झंडे लहरा रहे थे . इससे साफ जाहिर होता है कि उनकी मांगों में यूरोपीय संघ के साथ जुड़ाव एक प्रमुख मुद्दा है।
सरकार और विपक्ष में तनाव
प्रधानमंत्री इराकली कोबाखिद्ज़े ने प्रदर्शनों को विदेशी साजिश करार दिया है। उन्होंने यूरोपीय संघ पर देश में दंगे भड़काने के आरोप लगाए हैं। सरकार का कहना है कि यूरोपीय संघ के राजदूत प्रदर्शनकारियों की मदद कर रहे हैं। उनका उद्देश्य देश की संवैधानिक व्यवस्था को उखाड़ फेंकना है।
विपक्ष की मांगें बहुत स्पष्ट हैं। वे देश में नए संसदीय चुनाव कराना चाहते हैं। साथ ही वे प्रधानमंत्री समेत जॉर्जियन ड्रीम पार्टी के छह वरिष्ठ नेताओं की गिरफ्तारी चाहते हैं। उनकी मांग है कि लगभग 60 राजनीतिक कैदियों को तुरंत रिहा किया जाए।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
यूरोपीय संसद और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने जॉर्जिया में हुए 2024 के संसदीय चुनाव परिणामों को मान्यता देने से इनकार कर दिया है। उन्होंने देश में नए चुनाव कराने की मांग की है। इस अंतरराष्ट्रीय दबाव ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।
जॉर्जिया कभी यूरोपीय संघ में शामिल होने का प्रमुख दावेदार हुआ करता था। रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से इसके पश्चिम के साथ संबंधों में तल्खी देखी गई है . यह संकट अब देश के भविष्य की दिशा को लेकर एक बड़े राजनीतिक टकराव में बदल गया है।
भूराजनीतिक महत्व
जॉर्जिया यूरोप और एशिया के बीच स्थित एक महत्वपूर्ण देश है। यह सोवियत संघ से अलग होने वाले सबसे अधिक पश्चिमी समर्थक राष्ट्रों में से एक रहा है। देश का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि वह रूस के प्रभाव में जाता है या पश्चिम के साथ अपने रिश्ते मजबूत करता है।
वर्तमान संकट ने जॉर्जिया को एक निर्णायक मोड़ पर ला खड़ा किया है। प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण क्रांति की बात कर रहे हैं। वहीं सरकार इन प्रदर्शनों को देश की संप्रभुता पर हमला बता रही है। इस टकराव ने देश के भविष्य को अनिश्चितता में डाल दिया है।
