World News: पाकिस्तान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गाजा शांति योजना को मुस्लिम देशों के प्रस्ताव से अलग बताया है। पाकिस्तान के प्रतिनिधि इशाक डार ने संसद में यह बात कही। उन्होंने स्पष्ट किया कि ट्रंप के बीस बिंदुओं वाले प्रस्ताव में महत्वपूर्ण बदलाव हैं। यह बदलाव मुस्लिम देशों की मूल योजना से मेल नहीं खाते।
इशाक डार के अनुसार मुस्लिम देशों ने स्पष्ट मांग रखी थी। गाजा से इजरायली सेना की पूर्ण वापसी अनिवार्य है। लेकिन ट्रंप की योजना में केवल आंशिक वापसी का प्रावधान है। यह वापसी मुख्य रूप से बंधकों की रिहाई के लिए प्रस्तावित है।
मुस्लिम देशों की मांगें क्या हैं?
बाईस सितंबर को हुई बैठक में आठ मुस्लिम देश शामिल हुए थे। इन देशों ने ट्रंप से कई महत्वपूर्ण वादे लिए थे। वेस्ट बैंक में इजरायली विस्तार पर रोक लगाना प्रमुख मांग थी। दो राष्ट्र समाधान के आधार पर शांति स्थापना भी जरूरी बताई गई।
पाकिस्तान की नीति फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र बनाने की है। यह राष्ट्र इजरायल के साथ शांतिपूर्ण सहअस्तित्व बनाए रखेगा। लेकिन इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू लगातार इस संभावना को नकारते रहे हैं। इससे शांति प्रक्रिया में बाधा आती रही है।
ट्रंप की योजना के प्रमुख बिंदु
अमेरिकी राष्ट्रपति ने सोमवार को बीस बिंदुओं वाली योजना पेश की। इसके तहत युद्धविराम के बाद बहत्तर घंटे में सभी बंधकों की रिहाई होगी। जीवित या मृत सभी बंधकों को वापस लाना होगा। योजना में भविष्य के लिए नए गाजा के विकास का भी उल्लेख है।
यह प्रस्ताव अभी बातचीत पर निर्भर करता है। हमास की सहमति इसकी सफलता के लिए आवश्यक है। सात अक्टूबर को हमास के हमले के बाद यह संघर्ष शुरू हुआ था। उस हमले में बारह सौ से अधिक लोग मारे गए और दो सौ पचास एक बंधक बनाए गए थे।
संघर्ष के वर्तमान आंकड़े
इजरायली जवाबी कार्रवाई में गाजा के बड़े हिस्से का विनाश हुआ है। गाजा स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार अब तक छियासठ हजार से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं। यह संख्या लगातार बढ़ रही है। गाजा पट्टी का अधिकांश भाग पूरी तरह तबाह हो चुका है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने मानवीय संकट पर चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र ने तत्काल युद्धविराम की अपील की है। हजारों नागरिकों को भोजन, पानी और दवा की गंभीर कमी का सामना करना पड़ रहा है। अस्पतालों की स्थिति भी चिंताजनक बनी हुई है।
भविष्य की चुनौतियां
शांति प्रक्रिया में सबसे बड़ी चुनौती दोनों पक्षों की मांगों में समन्वय स्थापित करना है। इजरायल की सुरक्षा चिंताओं और फिलिस्तीनियों के आत्मनिर्णय के अधिकार के बीच संतुलन जरूरी है। अमेरिका की भूमिका इस संतुलन में महत्वपूर्ण हो सकती है।
ट्रंप प्रशासन ने पहले भी मध्य पूर्व शांति योजना पेश की थी। उसे फिलिस्तीनी नेतृत्व ने खारिज कर दिया था। वर्तमान प्रस्ताव की सफलता अंतरराष्ट्रीय दबाव और क्षेत्रीय समर्थन पर निर्भर करेगी। आने वाले दिनों में और वार्ताएं होने की संभावना है।
