Kullu News: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में एक भीषण आग की घटना में एक परिवार के पांच सदस्य बुरी तरह झुलस गए हैं। घटना जिला कुल्लू की मणिकर्ण घाटी स्थित जल्लुग्रा गांव में सोमवार सुबह करीब 5 बजे घटी। माना जा रहा है कि रसोई गैस सिलेंडर लीक होने के कारण यह हादसा हुआ। घायलों में दो महीने का एक नवजात शिशु भी शामिल है।
नेपाली मूल के परिवार में विकास वोहरा बहादुर, उनकी पत्नी कमला और उनके तीन बच्चे रहते थे। परिवार एक किराए के कमरे में रहता था। सुबह जैसे ही किसी ने चूल्हा जलाने का प्रयास किया, पूरा कमरा आग की चपेट में आ गया। गैस लीक होने से कमरा ज्वलनशील गैस से भर गया था।
आग की तेज लपटों ने पूरे परिवार को घेर लिया। उनके पास बचने का कोई रास्ता नहीं बचा। अचानक मचे कोहराम में सभी परिवारजन बुरी तरह झुलस गए। घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय लोग मदद के लिए पहुंचे।
स्थानीय निवासियों ने जलते हुए कमरे में घुसकर परिवार के सभी सदस्यों को बाहर निकाला। उन्होंने जान जोखिम में डालकर राहत कार्य किया। पुलिस से पहले ही लोगों ने घायलों को बाहर निकाल लिया था।
पुलिस ने सभी पीड़ितों को कुल्लू के क्षेत्रीय अस्पताल पहुंचाया। अस्पताल में डॉक्टरों की टीम ने उनका इलाज शुरू किया। मरीजों की हालत अब स्थिर बताई जा रही है। सभी का इलाज जारी है।
पुलिस अधीक्षक कुल्लू डॉ. कार्तिकेयन गोकुलचंद्रन ने बताया कि मामला दर्ज कर लिया गया है। जांच में पता चलेगा कि सिलेंडर में तकनीकी खराबी थी या कोई अन्य कारण। पुलिस गहनता से जांच कर रही है।
इस घटना ने गैस सिलेंडर के सुरक्षित उपयोग पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। छोटी सी लापरवाही ने एक परिवार को तबाह कर दिया। पूरे गांव में इस हादसे से सन्नाटा छा गया है।
गैस सिलेंडर सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा है। अक्सर लोग नियमित जांच में कोताही बरतते हैं। इससे ऐसी दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है। इस घटना ने फिर से सभी को सतर्क कर दिया है।
आग लगने की वजह से परिवार का सारा सामान जलकर खाक हो गया। उनके पास अब रहने को भी कुछ नहीं बचा है। स्थानीय प्रशासन ने मदद का आश्वासन दिया है। लोग भी उनकी मदद के लिए आगे आ रहे हैं।
क्षेत्रीय अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि सभी मरीजों के शरीर पर व्यापक जलन हैं। उन्हें विशेष देखभाल की जरूरत है। बच्चों का इलाज विशेष ध्यान से किया जा रहा है। उनके ठीक होने की उम्मीद है।
पुलिस ने घटनास्थल का मुआयना किया है। जली हुई इमारत से सबूत जुटाए जा रहे हैं। सिलेंडर को भी बरामद किया गया है। तकनीकी विशेषज्ञ उसकी जांच करेंगे। रिपोर्ट आने के बाद ही कारणों का पता चल पाएगा।
इस दुर्घटना ने स्थानीय समुदाय को हिला कर रख दिया है। लोगों ने बताया कि परिवार बहुत गरीब था। वे मजदूरी करके अपना गुजारा करते थे। अब उनके सामने रहने और इलाज का संकट खड़ा हो गया है।
गैस एजेंसियों द्वारा नियमित सुरक्षा जांच न होना भी एक कारण हो सकता है। अधिकारियों ने इस मामले में भी जांच शुरू कर दी है। यह देखा जाएगा कि सिलेंडर की गुणवत्ता ठीक थी या नहीं।
हादसे के बाद गांव वालों ने तुरंत मदद का हाथ बढ़ाया। उन्होंने न केवल परिवार को बचाया बल्कि अस्पताल तक पहुंचाने में भी मदद की। इससे घायलों को समय पर इलाज मिल सका।
यह घटना हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं के बीच एक और दुखद घटना के रूप में सामने आई है। राज्य पहले से ही प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रहा है। अब यह मानवनिर्मित त्रासदी ने लोगों को दुखी कर दिया है।
