India News: गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाएगा। श्रद्धालु विघ्नहर्ता गणेश का स्वागत कर सुख-समृद्धि की कामना करेंगे। धार्मिक मान्यता है कि विशेष मंत्रों का जप जीवन की बाधाओं को दूर करता है। यहां आठ शक्तिशाली मंत्रों की जानकारी दी जा रही है।
गणेश बीज मंत्र
ॐ गं गणपतये नमः गणेशजी का बीज मंत्र माना जाता है। नए कार्य की शुरुआत में इसका जप सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। यह मंत्र मार्ग की बाधाओं को स्वतः दूर कर देता है। शुभ अवसरों पर इसके जप का विशेष महत्व है।
वक्रतुंड महाकाय मंत्र
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभा मंत्र में गणेशजी से प्रार्थना की जाती है। यह मंत्र सभी कार्यों को निर्बाध रूप से पूर्ण करने में सहायक है। विवाह, परीक्षा या व्यापार में इसका पाठ विशेष फलदायी माना जाता है।
गणेश गायत्री मंत्र
ॐ एकदन्ताय विद्महे मंत्र गणेश गायत्री मंत्र के नाम से जाना जाता है। इसके जप से एकाग्रता, बुद्धि और स्मरण शक्ति बढ़ती है। विद्यार्थियों और नए सीखने वालों के लिए यह विशेष लाभकारी है।
सिद्धि विनायक मंत्र
ॐ नमो सिद्धि विनायकाय मंत्र में गणपति को सिद्धि-दाता कहा गया है। इसका जप समृद्धि और सामाजिक मान-सम्मान प्रदान करता है। जीवन में तरक्की के लिए इस मंत्र का विशेष महत्व है।
विज्ञानाशनाय मंत्र
ॐ विज्ञानाशनाय नमः मंत्र छोटा और सरल है। इसके नियमित जप से जीवन की बड़ी समस्याएं समाप्त होती हैं। गणेशजी को विघ्नहर्ता मानने की परंपरा इस मंत्र में प्रतिबिंबित होती है।
ध्यानमूलक मंत्र
तत्पुरुषाय विद्महे मंत्र ध्यानमूलक है। इसके जप से मन शांत होता है और आत्मबल बढ़ता है। साधक सही निर्णय लेने में सक्षम होता है। मानसिक शांति के लिए यह मंत्र उपयोगी है।
लक्ष्मी-विनायक मंत्र
ॐ श्रीँ गं सौम्याय मंत्र गणेश और लक्ष्मी दोनों का आशीर्वाद दिलाता है। आर्थिक उन्नति और नौकरी में सफलता के लिए इसका जप किया जाता है। परिवार की खुशहाली के लिए यह मंत्र शुभ माना जाता है।
गणेश-कुबेर मंत्र
ॐ नमो गणपतये कुबेर मंत्र धन और संपन्नता की प्राप्ति के लिए जपा जाता है। इससे आय के नए स्रोत खुलते हैं और घर-परिवार में स्थिरता आती है। आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए यह मंत्र प्रभावी है।
मंत्र जप की विधि
मंत्र-जप से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए। गणेशजी की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठकर एकाग्रचित होकर जप करें। कम से कम 108 बार जप करने की परंपरा है। इससे श्रद्धा और भक्ति गहरी होती है।
