World News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका को G20 में सदस्यता नहीं मिलनी चाहिए। अमेरिकी अधिकारी इस साल जोहान्सबर्ग में होने वाले शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे। ट्रम्प ने सफेद किसानों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों का हवाला दिया।
दक्षिण अफ्रीका ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि ये दावे तथ्यों पर आधारित नहीं हैं। देश के संविधान और न्यायिक प्रक्रियाओं का पूरी तरह पालन हो रहा है। इस विवाद ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों में नया तनाव पैदा कर दिया है।
अमेरिकी सहायता पर रोक
फरवरी में ट्रम्प ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत दक्षिण अफ्रीका को मिलने वाली अमेरिकी सहायता रोक दी गई। उन्होंने भूमि अधिग्रहण नीति को भेदभावपूर्ण बताया। दक्षिण अफ्रीकी कानून उचित प्रक्रिया और मुआवजे के साथ अधिग्रहण की अनुमति देता है।
संविधान में सीमित अपवादों का प्रावधान है। अमेरिकी प्रशासन ने अफ्रीकनर्स के लिए शरण नीति को प्राथमिकता दी। उन्होंने सरकारी उत्पीड़न के दावों का हवाला दिया। प्रिटोरिया ने इन दावों को खारिज करते हुए तथ्यों और आंकड़ों का हवाला दिया।
G20 बहिष्कार के निहितार्थ
ट्रम्प का G20 बहिष्कार एक व्यापक रणनीति का हिस्सा लगता है। यह बहुपक्षीय संस्थानों को कमजोर करने के प्रयास से जुड़ा है। दक्षिण अफ्रीका इस शिखर सम्मेलन का उपयोग वैश्विक सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए कर रहा है। वह समावेशी और न्यायपूर्ण वैश्विक व्यवस्था की वकालत कर रहा है।
BRICS विस्तार और जलवायु वित्त वार्ताओं में दक्षिण अफ्रीका की सक्रिय भूमिका रही है। इसने वैश्विक नेतृत्व में पश्चिमी एकाधिकार को चुनौती दी है। अमेरिकी प्रशासन को यह बात रास नहीं आ रही है। उनकी प्रतिक्रिया में पुरान औपनिवेशिक मानसिकता झलकती है।
वैचारिक आधार और ऐतिहासिक संदर्भ
ट्रम्प की रणनीति ईसाई राष्ट्रवादी विचारधारा से प्रभावित लगती है। यह अमेरिकी विशिष्टता और एकतरफा शक्ति में विश्वास करती है। अफ्रीकी राष्ट्रों की संप्रभुता को लेकर पश्चिमी देशों का रवैया लंबे समय से विवादास्पद रहा है। पेट्रिस लुमुम्बा और नेल्सन मंडेला जैसे नेताओं को भी इसी तरह की आलोचना झेलनी पड़ी थी।
ईवैंजेलिकल नेटवर्क्स रिपब्लिकन पार्टी में महत्वपूर्ण प्रभाव रखते हैं। फॉक्स न्यूज और क्रिश्चियन ब्रॉडकास्टिंग नेटवर्क जैसे मीडिया Outlets उनके विचारों को बढ़ावा देते हैं। ये नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय संस्थानों और वैश्विक सहयोग को संदेह की नजर से देखते हैं।
वैश्विक असमानता और दक्षिण अफ्रीका का विकल्प
दक्षिण अफ्रीका ने G20 ग्लोबल इनइक्वलिटी रिपोर्ट जारी की है। नोबेल पुरस्कार विजेता जोसेफ स्टिग्लिट्स इसके अध्यक्ष हैं। रिपोर्ट में पाया गया कि दुनिया की सबसे धनी 1 प्रतिशत आबादी ने 40 प्रतिशत नई संपदा पर कब्जा किया है। विश्व बैंक के मानकों के अनुसार 80 प्रतिशत मानवता उच्च असमानता वाले हालात में रहती है।
जोहान्सबर्ग शिखर सम्मेलन बहुपक्षीय विकास बैंकों में सुधार पर केंद्रित है। यह वैश्विक वित्तीय प्रणाली को विकासशील देशों के अनुकूल बनाने का प्रयास करता है। दक्षिण अफ्रीका अंतरराष्ट्रीय न्यायालय और G20 जैसे बहुपक्षीय मंचों का उपयोग कर रहा है।
मानवीय पहलू और वास्तविक चुनौतियां
जोहान्सबर्ग के अलेक्जेंड्रा टाउनशिप में बुनियादी सुविधाओं का गंभीर अभाव है। यहां दस लाख से अधिक लोग महज 800 हेक्टेयर में रहते हैं। अनेक अनौपचारिक आवास जुक्स्केई नदी के बाढ़ क्षेत्र में बने हैं। संकरी गलियों और कमजोर बुनियादी ढांचे के बीच जीवनयापन करना पड़ता है।
यह टाउनशिप सैंडटन के धनी इलाके से कुछ ही किलोमीटर दूर है। इन दोनों क्षेत्रों के बीच की विषमता गहरी सामाजिक-आर्थिक असमानता को दर्शाती है। दक्षिण अफ्रीका की वास्तविक चुनौतियां यहां स्पष्ट दिखाई देती हैं। ट्रम्प का ध्यान इन मुद्दों के बजाय गलत सूचनाओं पर केंद्रित है।
