बिजिंग: चीन ने जी-7 देशों के संयुक्त बयान पर राजनयिक विरोध दर्ज कराया है और उन पर देश के आंतरिक मामलों में दखल देने का आरोप लगाया है। इस बयान में जी-7 देशों ने ताइवान, पूर्वी और दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामकता को लेकर चिंता व्यक्त की है।
साथ ही तिब्बत, हांगकांग और शिनजियांग सहित चीन में मानवाधिकारों के बारे में चिंता जताई गई।
वैश्विक स्थिरता कम करने का आरोप
शिनजियांग में हजारों उइगर मुसलमानों को जबरन श्रम शिविरों में बंद रखने का आरोप है। वहीं, रूस ने जी-7 सम्मेलन को ऐसा राजनीतिक घटनाक्रम करार दिया जिसमें रूस-विरोधी और चीन-विरोधी बयानों को हवा दी गई। साथ ही उस पर वैश्विक स्थिरता कम करने का आरोप लगाया।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने शनिवार देर रात एक बयान में कहा, ‘चीन की गंभीर चिंता के बावजूद जी-7 ने बीजिंग को बदनाम करने और उस पर हमला करने के लिए चीन से संबंधित मुद्दों का इस्तेमाल किया तथा खुल्लम-खुल्ला चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप किया। चीन बयान की कड़ी निंदा व दृढ़ता से विरोध करता है और उसने शिखर सम्मेलन के मेजबान जापान व अन्य संबंधित पक्षों के समक्ष गंभीर आपत्ति दर्ज कराई है।’
ताइवान के मुद्दे को हल करना चीन का मामला
‘प्रवक्ता ने बयान में ताइवान के संदर्भ पर गंभीर आपत्ति जताई और कहा कि जी-7 के नेता चीन से संबंधित मुद्दों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘ताइवान के मुद्दे को हल करना चीन का मामला है। यह मामला चीन द्वारा ही हल किया जाना चाहिए। ‘प्रवक्ता ने कहा, ‘किसी को भी चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने में चीन के लोगों की दृढ़ता, संकल्प और क्षमता को कमतर नहीं आंकना चाहिए।
हांगकांग, शिनजियांग और तिब्बत से जुड़े मामले विशुद्ध रूप से चीन के आंतरिक मामले हैं। चीन मानवाधिकारों के बहाने उन मामलों में किसी भी बाहरी ताकत के हस्तक्षेप का दृढ़ता से विरोध करता है। अंगुली उठाने वालों को स्वयं के इतिहास एवं मानवाधिकार रिकार्ड को देखना चाहिए।’
प्रवक्ता ने पूर्वी और दक्षिण चीन सागर पर एक बार फिर चीन का दावा जताया और कहा कि चीन अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानूनों का रक्षक है तथा उसमें योगदान देता है। साथ ही कि वे दिन गए जब मुट्ठीभर पश्चिमी देश जानबूझकर दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में दखल दे सकते थे और वैश्विक मामलों को प्रभावित कर सकते थे।