International News: जोहान्सबर्ग में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन ने वैश्विक व्यवस्था में बड़ा बदलाव ला दिया है। यह पहली बार था जब अफ्रीका की धरती पर जी-20 का आयोजन हुआ। इस सम्मेलन में विकासशील देशों ने एकजुट होकर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। अफ्रीकन यूनियन की पूर्ण सदस्यता ने वैश्विक समीकरण बदल दिए।
सम्मेलन में कई अहम फैसले हुए। आर्थिक सुधार, जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा सुरक्षा पर महत्वपूर्ण समझौते हुए। विकासशील देशों ने साफ शब्दों में कहा कि अब पुराने नियम नहीं चलेंगे। उन्होंने अमीर देशों की दादागिरी को सीधी चुनौती दी। यह सम्मेलन ग्लोबल साउथ की बढ़ती ताकत का प्रतीक बन गया।
आर्थिक सुधारों पर हुआ समझौता
जी-20 ने वैश्विक वित्तीय संस्थानों में सुधार का समर्थन किया। विकासशील देशों पर कर्ज के बोझ को कम करने पर सहमति बनी। आईएमएफ में सब-सहारा अफ्रीका के लिए अलग सीट बनाई जाएगी। इससे अफ्रीकी देशों को फैसले लेने में अधिकार मिलेगा। कर्ज देने वाली निजी कंपनियों को भी पारदर्शिता बरतनी होगी।
खनिज संपदा वाले देशों के अधिकारों को मान्यता मिली। अब विकासशील देश सिर्फ कच्चा माल नहीं बेचेंगे। खनिजों की प्रोसेसिंग भी उन्हीं देशों में होगी। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार पैदा होंगे। मल्टीनेशनल कंपनियों को अब स्थानीय नियमों का पालन करना होगा।
जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा सुरक्षा
जलवायु परिवर्तन पर अमीर देशों से बड़े फंड का वादा किया गया। विकासशील देशों को अपने लक्ष्य पूरे करने के लिए बड़ी रकम चाहिए। जी-20 ने कहा कि जलवायु वित्त को बढ़ाना होगा। निजी क्षेत्र को भी इसमें योगदान देना होगा। ऊर्जा सुरक्षा को राष्ट्रीय संप्रभुता का अधिकार माना गया।
अफ्रीका में बिजली पहुंचाने के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया। मिशन 300 के तहत तीस करोड़ लोगों तक बिजली पहुंचेगी। नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने का लक्ष्य रखा गया। विकासशील देशों को तकनीक हस्तांतरण और सस्ते वित्त की सुविधा मिलेगी।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार
जी-20 ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार का समर्थन किया। नेताओं ने माना कि यह संस्था आज की वास्तविकताओं के अनुरूप नहीं है। परिषद का विस्तार करना जरूरी बताया गया। अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के देशों को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। यह भारत जैसे उभरते देशों की बड़ी उपलब्धि है।
सांस्कृतिक संपत्ति की वापसी पर भी चर्चा हुई। पश्चिमी संग्रहालयों में रखी गई कलाकृतियों के मुद्दे को उठाया गया। इस पर खुले संवाद की जरूरत बताई गई। शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में सुधार पर जोर दिया गया। महिलाओं और युवाओं के लिए नई योजनाएं बनाई गईं।
