शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

अंतिम संस्कार: हिंदू धर्म में क्यों कराते हैं मुंडन, जानिए मुस्लिम समुदाय की रस्में

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India News: भारत में मृत्यु से जुड़े रीति-रिवाज धर्मों के अनुसार अलग होते हैं। हिंदू धर्म में किसी के निधन के बाद जहां मुंडन जैसी कई परंपराएं निभाई जाती हैं, वहीं मुस्लिम समुदाय की अपनी विशिष्ट धार्मिक प्रक्रियाएं हैं। इन सभी परंपराओं का उद्देश्य मृतक की आत्मा को शांति देना होता है। अंतिम संस्कार से जुड़ी इन रस्मों को परिवार को सांत्वना देने का एक तरीका भी माना जाता है।

हिंदू धर्म में मुंडन और मोह त्याग का महत्व

हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, किसी भी सदस्य की मृत्यु के बाद घर में पातक (अशुद्धि) लग जाता है। यह पातक 13 दिनों तक चलता है। इस अवधि में घर के पुरुष मुंडन कराते हैं। ग्रंथों में मुंडन को शोक व्यक्त करने और दिवंगत आत्मा के प्रति श्रद्धा दिखाने का तरीका बताया गया है। बाल मन को सांसारिक मोह और आकर्षण से जोड़ते हैं। इसलिए मुंडन भौतिक आकर्षण से कुछ समय के लिए दूर रहने का प्रतीक है। हिंदू मान्यता यह भी है कि मृतक की आत्मा को मोक्ष दिलाने के लिए ये नियम पूरे करने जरूरी होते हैं।

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मुस्लिम समुदाय में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया

हिंदुओं के विपरीत, मुस्लिम समुदाय में अंतिम संस्कार के दौरान मुंडन की परंपरा नहीं होती है। किसी की मृत्यु होने पर सबसे पहले “इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन” कहा जाता है। इसका अर्थ है, ‘हम अल्लाह के हैं और उसी की ओर लौटकर जाएंगे।’
इसके बाद मृतक को धार्मिक रूप से पवित्र करने के लिए गुस्ल दिया जाता है। मृतक के शरीर को साफ पानी से धोया जाता है। इसके बाद शरीर को बिना सिलाई वाले सफेद कपड़े यानी कफन में लपेटा जाता है। मुस्लिम समुदाय में पुरुषों के लिए तीन और महिलाओं के लिए पांच कपड़ों का उपयोग होता है।

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नमाज-ए-जनाजा और चेहल्लुम की रस्म

कफन के बाद ‘नमाज-ए-जनाजा’ अदा की जाती है। इस नमाज में लोग मृतक की माफी और शांति के लिए दुआ करते हैं। नमाज के बाद शव को कब्रिस्तान ले जाया जाता है। इसे सुपुर्द-ए-खाक कहते हैं, यानी दफनाना। मृतक को दाईं करवट, किबला की दिशा में दफनाया जाता है।
जिस तरह हिंदू धर्म में 13वीं की परंपरा होती है, उसी तरह मुस्लिम समाज में मृत्यु के 40वें दिन चेहल्लुम मनाया जाता है। इसमें मृतक की पसंद का खाना बनाकर गरीबों में बांटा जाता है। चेहल्लुम का उद्देश्य मृतक की आत्मा के लिए भलाई की दुआ करना और परिवार को मानसिक रूप से मजबूत बनाना होता है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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