शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

हिमाचल में फोरलेन प्रभावितों को नहीं मिलेगा चार गुना मुआवजा, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक; जानें क्या है पूरा मामला

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Himachal News: सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल हाईकोर्ट के चार गुना मुआवजा आदेश पर रोक लगा दी। हिमाचल सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी। हाईकोर्ट ने 2015 की फैक्टर-1 अधिसूचना रद्द की थी। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में फोरलेन प्रभावितों को चार गुना मुआवजा देना था। सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। हिमाचल सरकार अब इस मामले में आगे की कार्रवाई करेगी।

हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

हिमाचल सरकार ने हाईकोर्ट के 22 मई के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने फैक्टर-1 अधिसूचना को रद्द किया था। यह अधिसूचना 1 अप्रैल 2015 को जारी हुई थी। हाईकोर्ट ने ग्रामीण क्षेत्रों में चार गुना मुआवजा देने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने इस आदेश पर रोक लगाई। न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और नोंगमेइकापम कोटिश्वर सिंह ने सुनवाई की।

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फैक्टर-1 और फैक्टर-2 का विवाद

2013 के भूमि अधिग्रहण कानून में मुआवजे के नियम तय किए गए। शहरी क्षेत्रों में फैक्टर-1 के तहत दो गुना मुआवजा मिलता है। ग्रामीण क्षेत्रों में फैक्टर-2 के तहत चार गुना मुआवजा देना होता है। हिमाचल सरकार ने फैक्टर-1 को ही लागू किया। इससे प्रभावितों को कम मुआवजा मिला। हाईकोर्ट ने इसे गलत ठहराया। याचिकाकर्ताओं ने कानून के उल्लंघन का दावा किया। अब सुप्रीम कोर्ट मामले की जांच करेगा।

हाईकोर्ट का फैसला और याचिका

हाईकोर्ट के जज तरलोक सिंह चौहान और सुशील कुकरेजा ने फैसला सुनाया। केशव राम और कर्म चंद की याचिका पर यह आदेश आया। याचिका में कहा गया कि सरकार ने गलत अधिसूचना जारी की। 2013 के कानून के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में चार गुना मुआवजा देना जरूरी है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला दिया। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है।

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फोरलेन प्रभावितों पर असर

फोरलेन परियोजनाओं के लिए हिमाचल में जमीन अधिग्रहण हुआ। प्रभावितों को फैक्टर-1 के तहत दो गुना मुआवजा मिला। हाईकोर्ट के आदेश से ग्रामीण क्षेत्रों में चार गुना मुआवजा मिलना था। सुप्रीम कोर्ट की रोक से प्रभावितों को इंतजार करना होगा। यह मामला केंद्र और राज्य सरकार की परियोजनाओं से जुड़ा है। प्रभावित लोग जल्द न्याय की उम्मीद कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला महत्वपूर्ण होगा।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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