शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार को मिला अहम पद: शिक्षा सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष बनने पर 1.75 लाख वेतन, पेंशन भी जारी रहेगी

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Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बड़ा प्रशासनिक निर्णय लिया है। राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार को उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति उनके सेवानिवृत्त होने के तुरंत बाद की गई है।

इस नियुक्ति के बाद सबसे ज्यादा चर्चा उनकी सैलरी और पेंशन को लेकर हो रही है। लोग जानना चाहते हैं कि उन्हें इस पद पर कितना वेतन मिलेगा। साथ ही यह भी कि क्या उनकी डीजीपी पेंशन जारी रहेगी। सरकार ने इन सभी मुद्दों पर स्पष्टता दी है।

प्रशांत कुमार का प्रशासनिक अनुभव

प्रशांत कुमार नेउत्तर प्रदेश पुलिस सेवा में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है। उन्होंने प्रदेश के एडीजी (एल एंड ओ) के रूप में कार्य किया। कार्यकारी डीजीपी के रूप में भी उन्होंने जिम्मेदारी संभाली। राज्य की कानून व्यवस्था दुरुस्त करने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही।

उनका प्रशासनिक और शासकीय अनुभव काफी समृद्ध है। सरकार का मानना है कि उनका यह अनुभव आयोग के काम में मददगार साबित होगा। उनकी नियुक्ति से भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी। लंबे समय से लंबित पदों को भरने में गति आएगी।

आयोग के अध्यक्ष पद का कार्यकाल

प्रशांत कुमार कायह कार्यकाल तीन वर्ष का होगा। इस दौरान वे आयोग से जुड़ी सभी नियुक्तियों और भर्तियों की जिम्मेदारी संभालेंगे। उनका मुख्य कार्य शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को सुचारु और पारदर्शी बनाना होगा। यह पद राज्य सरकार के अंतर्गत एक उच्च स्तरीय पद है।

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सरकार ने इस नियुक्ति के माध्यम से एक स्पष्ट संदेश दिया है। वह अनुभवी और ईमानदार अधिकारियों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंप रही है। इससे प्रशासनिक कार्यों में दक्षता आने की उम्मीद है। शिक्षा विभाग की भर्ती प्रक्रिया में सुधार होगा।

अध्यक्ष पद पर मिलने वाला वेतन

प्रशांत कुमार कोइस पद पर हर महीने एक लाख पचहत्तर हजार रुपये वेतन मिलेगा। यह वेतन एक निश्चित मानदेय के रूप में तय किया गया है। यह राशि राज्य सरकार के अन्य उच्च स्तरीय आयोगों के अध्यक्षों के समान है। यह वेतन डीजीपी पद के वेतन से पूरी तरह अलग है।

इस वेतन का उनकी पेंशन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। दोनों भुगतान अलग-अलग माने जाएंगे। यह व्यवस्था सरकारी नियमों के अनुरूप है। राज्य सरकार ने इस संबंध में सभी नियमों का पालन किया है।

पद के साथ मिलने वाली सुविधाएं

सिर्फ वेतन हीनहीं, इस पद के साथ कई सरकारी सुविधाएं भी मिलेंगी। प्रशांत कुमार को सरकारी गाड़ी उपलब्ध कराई जाएगी। सरकारी बंगला भी आवंटित किया जाएगा। सुरक्षा स्टाफ और अन्य भत्ते भी दिए जाएंगे। ये सभी सुविधाएं अध्यक्ष पद की गरिमा के अनुरूप हैं।

इन सुविधाओं का उद्देश्य है कि अधिकारी बिना किसी बाधा के अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सके। उन्हें किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हों।

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डीजीपी पेंशन की स्थिति

सबसेमहत्वपूर्ण सवाल पेंशन को लेकर है। प्रशांत कुमार को डीजीपी के रूप में मिलने वाली पेंशन पूरी तरह जारी रहेगी। वे एक आईपीएस अधिकारी के रूप में तीस जून दो हजार पच्चीस को सेवानिवृत्त हुए थे। उनकी पूरी सेवा अवधि के आधार पर यह पेंशन मिलती रहेगी।

सरकारी नियमों के अनुसार आयोग के अध्यक्ष का वेतन और पूर्व सेवा की पेंशन दो अलग चीजें हैं। एक का दूसरे पर कोई असर नहीं पड़ता। इसलिए प्रशांत कुमार को दोनों स्रोतों से आय प्राप्त होती रहेगी। यह व्यवस्था पूरी तरह नियमों के दायरे में है।

नियुक्ति का उद्देश्य और अपेक्षाएं

सरकार कीइस नियुक्ति के पीछे कई उद्देश्य हैं। प्रशांत कुमार के अनुभव से भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी। लंबे समय से खाली पड़े पदों को भरने में तेजी मिलेगी। शिक्षा विभाग की भर्ती प्रक्रिया अधिक कुशल होगी।

सरकार का मानना है कि उनका प्रशासनिक अनुभव इस पद के लिए उपयुक्त है। उनकी नियुक्ति से आयोग के कामकाज में सुधार होगा। शिक्षक भर्ती से जुड़ी समस्याओं का समाधान जल्द होगा। यह निर्णय राज्य के शिक्षा क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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