National News: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मॉस्को में भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग की बैठक में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार चार साल में पांच गुना बढ़ा है। यह 2021 में 13 अरब डॉलर से बढ़कर 2024-25 में 68 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया है। उन्होंने मौजूदा व्यापार असंतुलन को दूर करने पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत बताई।
व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि द्विपक्षीय व्यापार में यह उछाल एक बहुत ही सकारात्मक विकास है। यह वृद्धि दोनों देशों के बीच मजबूत आर्थिक साझेदारी को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि यह संबंध लगातार मजबूत हो रहा है और भविष्य में और भी बेहतर होने की उम्मीद है। इस वृद्धि ने भारत-रूस संबंधों को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है।
बढ़ते व्यापार असंतुलन पर चिंता
जयशंकर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि व्यापार बढ़ने के साथ एक बड़ी चुनौती भी आई है। व्यापार असंतुलन लगभग नौ गुना बढ़कर 58.9 अरब डॉलर हो गया है। यह स्थिति भारत के लिए चिंताजनक है। इसलिए इस मुद्दे को हल करना दोनों देशों के लिए एक प्राथमिकता होनी चाहिए। इस पर तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता है।
आयोग की भूमिका और महत्व
विदेश मंत्री ने आईआरआईजीसी-टीईसी की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। यह आयोग द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है। यह शिखर सम्मेलन की तैयारी के लिए एक महत्वपूर्ण तंत्र के रूप में कार्य करता है। इस साल के अंत में होने वाले शिखर सम्मेलन की तैयारियों पर भी यहां चर्चा हुई।
जटिल वैश्विक पृष्ठभूमि
जयशंकर ने कहा कि यह बैठक एक जटिल वैश्विक राजनीतिक माहौल में हो रही है। ऐसे में भारत और रूस के बीच निरंतर संवाद और जुड़ाव और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। दोनों देशों के नेता इन चुनौतियों का सामना करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। इससे द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती का पता चलता है।
रूसी उप प्रधानमंत्री के साथ वार्ता
विदेश मंत्री जयशंकर ने रूस के प्रथम उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव के साथ भी बैठक की। इस दौरान उन्होंने कहा कि वर्तमान चुनौतियों का सामना करने के लिए रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है। इस बैठक का मुख्य विषय द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग को और बढ़ाना था। दोनों नेताओं ने मौजूदा मुद्दों पर खुलकर विचार-विमर्श किया।
भविष्य की दिशा
दोनों देशों ने व्यापार असंतुलन को कम करने के तरीकों पर चर्चा की। इसके लिए भारतीय निर्यात को बढ़ावा देने और निवेश के नए अवसर तलाशने पर सहमति बनी। यह सहयोग भविष्य में और गहरा होगा। दोनों पक्षों ने आपसी हित के मुद्दों पर सकारात्मक बातचीत जारी रखने का संकल्प लिया।
