हिमाचल प्रदेश के इतिहास में पहली बार विधानसभा सत्र में मुख्यमंत्री के साथ उपमुख्यमंत्री तो मौजूद थे लेकिन मंत्री गायब थे। आपको बता दें कि ऐसा हिमाचल के इतिहास में कभी नहीं हुआ है। कांग्रेस सरकार बनते ही सुखविंदर सुक्खू ने मुख्यमंत्री और मुकेश अग्निहोत्री ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। लेकिन आज इतने दिन बीत जाने के बाबजूद हिमाचल में मंत्रिमंडल का गठन नही हो पाया।
इस बार हिमाचल प्रदेश की 14वीं विधानसभा के पहले शीतकालीन सत्र का आयोजन धर्मशाला के तपोवन में स्थित विधानसभा भवन में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ पहली बार उप-मुख्यमंत्री बने मुकेश अग्रिहोत्री ने किया था। यह सत्र हिमाचल के इतिहास में पहला ऐसा सत्र था जिसमें मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री तो थे लेकिन कोई भी मंत्री मौजूद नही था। इतना ही नहीं तपोवन के विधानसभा भवन में समस्त मंत्रियों के कमरे में ताले ही लटके रहे थे और मंत्रियों की गैलरी जो कि पूरी तरह से आम लोगों के साथ पैक रहती थी, पूरी तरह से कहली दिखाई दे रही थी, जबकि सीएम व डिप्टी सीएम की गैलरी में सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद थे।
ब्रिटिश हुकूमत के दौरान वर्ष 1905 में जिला कांगड़ा में आए भूकंप के चलते धर्मशाला से देश की समर कैपिटल बनने का हक छिन गया था। अंग्रेजी हुकूमत ने धर्मशाला को देश की समर केपिटल बनाने के लिए प्रोपोजल तैयार कर लिया था, लेकिन वर्ष 1905 के भयंकर भूकंप ने उस प्रोपोजल को भी दफन कर दिया। हालांकि पूरे 100 वर्ष बाद धर्मशाला को वर्ष 2005 में अपना हक वापस मिल पाया था। 2005 में पहली बार धर्मशाला में विधानसभा का सत्र चला। पहले सत्र में ऐतिहासिक पीजी कॉलेज धर्मशाला का प्रयास हॉल इसका साक्षी बना था। तब विधानसभा अध्यक्ष गंगू राम मुसाफिर की अध्यक्षता में सत्र आयोजित किया गया था। इसके बाद अब तक तपोवन धर्मशाला में शीत सत्र आयोजित होता रहा है। अब प्रदेश के इतिहास में नया अध्याय जुड़ा है। इस बार मुख्यमंत्री संग उप-मुख्यमंत्री भी सत्र का हिस्सा बन रहे हैं। इससे पहले राज्य के इतिहास में कभी भी उप मुख्यमंत्री का पद नहीं रहा है। वहीं एक ओर अध्याय इस बार तपोभूमि में जुड़ा है और वह यह कि पहली बार राज्य में बिना मंत्रियों के सत्र चल रहा है। इसमें मात्र प्रोटेम स्पीकर, सीएम व डिप्टी सीएम हैं, जबकि अन्य सभी विधायकों ने पहले दिन शपथ ग्रहण की।
सुक्खू ने टकराव के बजाय सौहार्द का रास्ता चुना
नए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपनी सरकार के पहले विंटर सेशन में टकराव के बजाय सौहार्द का रास्ता अपनाया है। मुख्यमंत्री के व्यवहार से लेकर शब्दों तक में यह अप्रोच दिख रही थी। सत्र शुरू होते ही जब वह सदन में आए तो सबसे पहले विपक्ष के विधायकों से मिले और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर से हाथ मिलाया। इस दौरान कई भाजपा विधायकों से उन्होंने चर्चा भी की। इससे पिछले दिन कांग्रेस विधायक दल की बैठक में सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कांग्रेस विधायक दल को सत्र के दौरान शांत रहने के लिए कहा। पहले दिन भी पक्ष की ओर से जब दफ्तर बंद करने का मामला उठाया गया तो भी मुख्यमंत्री ने कहा कि वह पूरी बात कहने का मौका देना चाहते हैं। दूसरी तरफ विपक्षी दल भाजपा ने पहले दिन ही अपने तेवर दिखा दिए हैं। जिस दिन सिर्फ शपथ ही होनी थी, उस दिन को भाजपा विधायक दल ने हंगामा कर दिया और वाकआउट भी। अगले पांच साल क्या होने वाला है, इसकी झलक भी सत्ता पक्ष को मिल गई है। अब शुक्रवार को राज्यपाल का अभिभाषण है। इस पर दो दिन चर्चा होगी और इस दौरान भाजपा दफ्तर बंद करने से लेकर सीमेंट प्लांट और पेपर लीक जैसे मामलों को मजबूती से उठाएगी।
इतिहास के झरोखे से .
हिमाचल के इतिहास में पहली बार 26 से 29 दिसंबर, 2005 तक धर्मशाला कॉलेज में प्रयास भवन में विधानसभा सत्र का आयोजन किया गया था। फिर धर्मशाला के समीप सिद्धबाड़ी तपोवन में 25 दिसंबर, 2006 को सात करोड़ से निर्मित विधानसभा का नया भवन समर्पित किया गया था। इस भवन की आधारशिला 14 फरवरी, 2006 को रखी गई थी। 2006 में विधानसभा भवन का निर्माण होने के बाद से लगातार शीतकालीन सत्र का आयोजन धर्मशाला के तपोवन में किया जा रहा है।
सीएम ने नेता प्रतिपक्ष को दी जादू की झप्पी
धर्मशाला – धर्मशाला के तपोवन में हिमाचल की 14वीं विधानसभा की शुरुआत बेहद सौहार्दपूर्ण और शिष्टाचार से भरी रही। सदन की कार्यवाही आरंभ होने से पहले सदन का माहौल बहुत खुशनुमा था। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने नवनिर्वाचित विधायकों के शपथ ग्रहण के दौरान विधानसभा में विपक्ष के नेता पूर्व सीएम जयराम ठाकुर से गर्मजोशी से मुलाकात की। उन्होंने सदन में पहुंचते हीनेता विपक्ष जयराम ठाकुर को कसकर जादू की झप्पी डाली। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री भी उनके साथ रहे और नेता विपक्ष से गर्मजोशी से मिले। मुख्यमंत्री ने विपक्ष के विधायकों से भी हाथ मिलाए और उन्हें जीत पर बधाई दी।