National News: गूगल के ‘ईयर इन सर्च’ के आंकड़ों ने साल 2025 के भारत के खान-पान के नए रुझानों का पता लगाया है। रिपोर्ट बताती है कि भारतीय अब केवल पारंपरिक व्यंजनों तक सीमित नहीं हैं। वे नए स्वादों, गहरे क्षेत्रीय पकवानों और वैश्विक रेसिपी को भी उत्सुकता से अपना रहे हैं। इस साल की ट्रेंडिंग रेसिपी लिस्ट एक प्रयोगधर्मी और स्वास्थ्य के प्रति सजग रसोई की ओर इशारा करती है।
इस सूची में देशभर के व्यंजनों का एक रोचक मिश्रण देखने को मिला। पारंपरिक भोजन के आधुनिक रूपों से लेकर अंतरराष्ट्रीय पेय तक सभी ने लोगों का ध्यान खींचा। यह ट्रेंड बताता है कि भारतीय खानपान की दुनिया तेजी से विविध और समावेशी हो रही है। डिजिटल प्लेटफॉर्म इस बदलाव में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
पारंपरिक व्यंजनों के नए रूप
इस साल इडलीने सूची में शीर्ष स्थान हासिल किया। लेकिन इसकी लोकप्रियता का कारण सिर्फ इसका क्लासिक रूप नहीं था। लोगों ने रागी इडली, क्विनोआ इडली और यहां तक कि इडली सैंडविच जैसे नए वेरिएंट भी खूब खोजे। यह ट्रेंड दिखाता है कि एक साधारण और स्वास्थ्यवर्धक नाश्ता कैसे पूरे देश में नए अवतारों में फैल रहा है।
मोदक और ठेकुआ जैसे त्योहारी व्यंजनों ने भी खासी दिलचस्पी जगाई। गणेश चतुर्थी के प्रिय मोदक के स्टीम्ड और फ्यूज़न वेरिएंट ट्रेंड में रहे। वहीं बिहार के ठेकुआ ने अपनी सादगी और असली स्वाद के दम पर राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया। यह पारंपरिक स्वादों की वापसी का संकेत देता है।
क्षेत्रीय विविधता और वैश्विक स्वाद
आंध्र प्रदेश और तेलंगानाका उगादी पचड़ी इस साल चर्चा में रहा। इसमें मौजूद छह अलग-अलग स्वादों का संतुलन लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना। इसी तरह तमिलनाडु का तिरुवातिरै कली और दक्षिण भारतीय कोलुकट्टई जैसे व्यंजनों ने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई। यह क्षेत्रीय पाक संस्कृतियों के बारे में बढ़ती जानकारी दर्शाता है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पॉर्नस्टार मार्टिनी नामक कॉकटेल ने भारतीयों का ध्यान खींचा। सोशल मीडिया पर इसकी लोकप्रियता ने इसे खोज सूचियों में पहुंचा दिया। इसी तरह इंग्लैंड की क्लासिक डिश यॉर्कशर पुडिंग को भी भारतीय खाना पकाने के शौकीनों ने खूब खोजा। यह वैश्विक खानपान के प्रति बढ़ती जिज्ञासा को दर्शाता है।
स्वास्थ्य के प्रति बढ़ता रुझान
स्वास्थ्य संबंधीफायदों ने भी कई व्यंजनों को ट्रेंडिंग बनाया। उत्तर भारत का पारंपरिक पेय चुकंदर कांजी प्रोबायोटिक गुणों के कारण लोकप्रिय हुआ। यह एक स्वास्थ्य सचेत पसंद के रूप में उभरा। गर्मियों में शरीर को ठंडक देने वाले गोंद कतीरा के आयुर्वेदिक लाभों ने भी लोगों को आकर्षित किया।
इन सभी ट्रेंड्स से साफ जाहिर होता है कि भारतीय उपभोक्ता अब ज्यादा जागरूक और प्रयोगशील हैं। वे अपनी पारंपरिक जड़ों से जुड़े रहना चाहते हैं लेकिन नए स्वादों को आजमाने से भी नहीं कतराते। यह बदलाव देश के खानपान के परिदृश्य को नए सिरे से परिभाषित कर रहा है। यह ट्रेंड आने वाले समय में और मजबूत होने की उम्मीद है।
