Himachal News: हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में 30 जून को बादल फटने और बाढ़ ने सराज विधानसभा क्षेत्र में भारी तबाही मचाई। सैकड़ों परिवार अपने घर और आजीविका खो चुके हैं। जिला प्रशासन ने राहत शिविर स्थापित किए और राशन किट व कंबल बांटे, लेकिन बाढ़ राहत में नकदी सहायता की कमी सबसे बड़ी समस्या है। प्रभावित लोग दवाइयों और बच्चों की जरूरतों के लिए पैसे की कमी से जूझ रहे हैं।
राहत शिविरों में बुनियादी मदद
सेराज के स्वांडीगला, बाड़ा, बगस्याड़ और थुनाग में राहत शिविर स्थापित किए गए हैं। जल शक्ति विभाग और लोक निर्माण विभाग के विश्राम गृहों में लोग शरण लिए हुए हैं। प्रशासन ने 5,000 रुपये की तत्काल सहायता दी, लेकिन यह राशि नुकसान की तुलना में नाकाफी है। प्रभावित परिवार भोजन और आश्रय के लिए आभारी हैं, लेकिन नकदी की कमी उन्हें रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने से रोक रही है।
प्रभावितों की दर्दनाक कहानियां
स्वांडीगला के राहत शिविर में पूर्णावती ने बताया कि उनके एक साल के बच्चे को दूध चाहिए, लेकिन उनके पास पैसे नहीं हैं। वह कहती हैं, “राशन मिल रहा है, लेकिन बिना नकदी के मैं बच्चे की जरूरतें कैसे पूरी करूं?” उनकी व्यथा सैकड़ों परिवारों की है। लोग दवाइयां, कपड़े और स्कूल सामग्री खरीदने में असमर्थ हैं। यह स्थिति प्रभावितों के दुख को और गहरा रही है।
कंबलों की गुणवत्ता पर सवाल
थुनाग शिविर में प्रेम सिंह ने कंबलों की खराब गुणवत्ता पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, “कंबल गीले और बेकार हैं। मानसून में इनका कोई उपयोग नहीं।” उनकी बेटी धर्मशाला में पढ़ती है, लेकिन दुकान और घर बहने से वह उसकी पढ़ाई का खर्च नहीं उठा पा रहे। नकदी सहायता की कमी ने परिवारों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। प्रशासन से और मदद की उम्मीद है।
प्रशासन के प्रयास और चुनौतियां
जिला प्रशासन ने राहत कार्यों में तेजी दिखाई। भारतीय सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ ने थुनाग, बगस्याड़ और पंडोह में राहत सामग्री पहुंचाई। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 7 करोड़ रुपये की सहायता की घोषणा की। फिर भी, नकदी सहायता की कमी प्रभावितों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। प्रशासन और सामाजिक संगठन मिलकर सड़क और पानी की योजनाओं को बहाल कर रहे हैं।
