Himachal News: हिमाचल प्रदेश के जंजैहली समिति हॉल में 26 जुलाई 2025 को किसान सभा और सेब उत्पादक संघ का संयुक्त अधिवेशन हुआ। किसान सभा के पूर्व राज्य सचिव डॉ. ओंकार शाद ने अधिवेशन का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि सराज में आपदा से सैकड़ों लोग बेघर हो गए। जमीनें, घर और फसलें तबाह हो गईं। सरकार और प्रशासन पुनर्वास के लिए गंभीर नहीं है।
जमीन के बिना पुनर्वास असंभव
डॉ. ओंकार शाद ने कहा कि बिना जमीन दिए पुनर्वास संभव नहीं है। हिमाचल में 66% वन भूमि और केवल 11% कृषि योग्य जमीन है। बाकी नदियों, सड़कों और पोंग डैम में चली गई। केंद्र सरकार को वन संरक्षण अधिनियम 1980 में संशोधन करना होगा। जमीन देना सरकार का कर्तव्य और लोगों का हक है। बिना जमीन के जीवनयापन मुश्किल है।
संगठन और संघर्ष की जरूरत
राज्य कमेटी सदस्य महेंद्र राणा ने कहा कि मांगें पूरी करने के लिए संघर्ष जरूरी है। सराज में संगठन की कमी से नुकसान हुआ। आपदा में अराजकता थी। देशभर से राहत सामग्री आई, लेकिन बीजेपी ने इसे हड़प लिया। गरीबों तक मदद नहीं पहुंची। आपदा को अव्यवस्था में बदला गया। नेताओं ने केवल आश्वासन दिए, कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
आपदा के बाद सरकार की निष्क्रियता
राणा ने कहा कि आपदा के 26 दिन बाद भी प्रशासन के पास नुकसान का आकलन नहीं है। जमीन, घर और फसलों के नुकसान का कोई आंकड़ा नहीं। अधिकारी टालमटोल कर रहे हैं। नेताओं ने प्रभावितों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया। सड़कें बनाने के लिए लोगों से पैसे वसूले जा रहे हैं। बीजेपी नेता इसका श्रेय ले रहे हैं।
कर्ज माफी और मुआवजे की मांग
अधिवेशन में किसान क्रेडिट कार्ड के कर्ज माफी की मांग उठी। फसलों का उचित मुआवजा, जमीन के बदले जमीन और मकान के बदले मकान देने की मांग हुई। 2023 के नुकसान का मुआवजा अभी तक नहीं मिला। सरकार ने आपदा राहत के लिए कोई अधिसूचना जारी नहीं की। राहत राशि मनमाने ढंग से बांटी गई।
आगामी आंदोलन की योजना
अधिवेशन में 29 जुलाई को शिमला सचिवालय घेराव का फैसला लिया गया। सैकड़ों किसान और बागवान इसमें शामिल होंगे। 5 अगस्त को जंजैहली में रैली होगी। उपमंडल अधिकारी का घेराव किया जाएगा। यह आंदोलन तब तक चलेगा, जब तक मांगें पूरी नहीं होतीं। अधिवेशन को नरेंद्र रेड्डी, चेतन कुमार, बिहारी लाल, चंद्र कुमार और कृष्ण कुमार ने भी संबोधित किया।
