Himachal News: हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड में फर्जी प्रमाण पत्रों के जरिए नौकरी हासिल करने का मामला सामने आया है। तीन कर्मचारियों ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे वर्षों तक नौकरी की और जांच शुरू होने पर चुपचाप इस्तीफा दे दिया। विभाग की ओर से कोई ठोस कार्रवाई न होने से बोर्ड की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।
फर्जी प्रमाण पत्रों का खुलासा
हिमाचल बिजली बोर्ड में फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी करने वाले कर्मचारियों में एक कनिष्ठ अभियंता शामिल है, जिसका मामला होली सेक्शन में सामने आया। मुख्य अभियंता, धर्मशाला ने इसकी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी है। हालांकि, चंबा के मरेड़ी और डलहौजी सेक्शनों में कार्यरत दो अन्य कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इन कर्मचारियों ने सत्यापन के दौरान फर्जीवाड़ा पकड़े जाने के बाद खुद नौकरी छोड़ दी।
विभागीय लापरवाही पर सवाल
विभागीय जांच समिति ने फर्जी प्रमाण पत्रों के मामले में रिपोर्ट तैयार की, लेकिन अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं हुई। स्थानीय लोगों और कर्मचारियों का कहना है कि समय पर गहन जांच होती तो संगठित गिरोह का पर्दाफाश हो सकता था। बोर्ड की इस लापरवाही ने पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़े किए हैं।
सत्यापन प्रक्रिया में खामियां
हिमाचल बिजली बोर्ड में नियुक्तियों के दौरान शैक्षणिक और तकनीकी प्रमाण पत्रों का सत्यापन किया जाता है। उच्च अधिकारियों के दस्तावेज बोर्ड मुख्यालय से जांचे जाते हैं, जबकि कनिष्ठ कर्मचारियों के दस्तावेज अधिशासी अभियंता स्तर पर सत्यापित होते हैं। फर्जी प्रमाण पत्र पाए जाने पर सेवा समाप्ति और धोखाधड़ी के तहत एफआईआर का प्रावधान है, लेकिन इन मामलों में कोई कठोर कदम नहीं उठाया गया।
जांच और कार्रवाई का वादा
मुख्य अभियंता, धर्मशाला, अजय गोतम ने कहा कि होली सेक्शन के मामले में तुरंत जांच की गई और रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी गई है। बोर्ड फर्जी प्रमाण पत्रों पर जीरो टॉलरेंस नीति अपनाएगा। अधीक्षण अभियंता, डलहौजी, राजीव ठाकुर ने बताया कि अन्य सेक्शनों में भी ऐसे मामलों की जांच होगी और सत्यापन प्रक्रिया को और सख्त किया जाएगा।
