Himachal News: हिमाचल प्रदेश में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के फर्जी प्रमाणपत्रों का सनसनीखेज घोटाला सामने आया है। राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (विजिलेंस) की जांच में खुलासा हुआ कि कई अपात्र लोगों ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए सरकारी नौकरियां हासिल कीं। इनमें से कुछ आयुर्वेदिक विभाग में डॉक्टर के पद पर तैनात हैं। मंडी, धर्मशाला, हमीरपुर और बिलासपुर में इस फर्जीवाड़े के खिलाफ केस दर्ज किए गए हैं।
जांच से हुआ खुलासा
विजिलेंस की कार्रवाई एक शिकायत के बाद शुरू हुई। जांच में पता चला कि कई अभ्यर्थियों ने ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र पाने के लिए अपनी पारिवारिक आय छिपाई। कुछ पहले से सरकारी सेवा में थे, जो पात्रता नियमों का उल्लंघन है। ईडब्ल्यूएस आरक्षण केवल उन परिवारों के लिए है, जिनमें कोई सरकारी कर्मचारी नहीं है और आय निर्धारित सीमा से कम है। इस घोटाले ने 10 फीसदी आरक्षण व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं।
कई जिलों में दर्ज हुए मामले
विजिलेंस ने कांगड़ा में पांच, मंडी में चार, हमीरपुर में चार और बिलासपुर में एक केस दर्ज किया है। ये मामले 2022 में आयुर्वेदिक विभाग में बैचवाइज भर्ती से जुड़े हैं। तीन मामलों में स्वीकृति भी मिल चुकी है। जांच की आंच अब अन्य विभागों तक पहुंच सकती है। विजिलेंस का कहना है कि यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा संदेश देगी।
अधिकारी भी जांच के घेरे में
इस घोटाले में न केवल फर्जी प्रमाणपत्र इस्तेमाल करने वाले शामिल हैं, बल्कि ऐसे दस्तावेज जारी करने वाले अधिकारी भी जांच के दायरे में हैं। विजिलेंस इन अधिकारियों की भूमिका की गहन जांच कर रही है। आने वाले दिनों में दोषी अधिकारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई हो सकती है। यह मामला न सिर्फ प्रशासनिक व्यवस्था की कमियों को उजागर करता है, बल्कि पात्र उम्मीदवारों के हक पर भी सवाल उठाता है।
