Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में अनुसूचित जाति के विभिन्न संगठनों ने ऐतिहासिक एकता दर्शाई है। शिमला के काली बाड़ी में आयोजित राज्य स्तरीय अधिवेशन में सीपीआईएम के बैनर तले 35 संगठनों के 400 प्रतिनिधि एक मंच पर इकट्ठा हुए। सभी संगठनों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि अब वे ‘शोषण मुक्ति मंच’ के साझा बैनर तले संघर्ष करेंगे। इस एकीकरण को राज्य के दलित आंदोलन में मील का पत्थर माना जा रहा है।
अधिवेशन की अध्यक्षता सभी संगठनों के नेतृत्वकारी सदस्यों ने संयुक्त रूप से की। जगत राम ने सम्मेलन का संचालन किया। इस ऐतिहासिक सम्मेलन में पूर्व विधायक और हिमाचल किसान सभा के राज्य सचिव राकेश सिंघा उपस्थित रहे। शिमला के पूर्व महापौर संजय चौहान ने भी इस कार्यक्रम में शिरकत की।
35 सदस्यीय राज्य कमेटी का गठन
अधिवेशन में एक 35 सदस्यीय राज्य कमेटी के गठन का निर्णय लिया गया। आशीष कुमार को सर्वसम्मति से राज्य संयोजक चुना गया। राजेश कोष और मिन्टा जिंटा को सह संयोजक का दायित्व सौंपा गया। इस कमेटी का कार्य पूरे प्रदेश में संघर्ष को समन्वित तरीके से चलाना होगा। कमेटी में सभी 35 संगठनों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया है।
नवगठित शोषण मुक्ति मंच ने रोहड़ू और कुल्लू सैंज की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की। मंच ने सिकंदर के परिवार को सरकारी नौकरी और उचित मुआवजा देने की मांग की। साथ ही जातिगत उत्पीड़न की घटनाओं पर त्वरित कार्रवाई की मांग की गई।
किसान और मजदूर संगठनों का समर्थन
राज्य के प्रमुख किसान, मजदूर और महिला संगठनों ने इस साझा संघर्ष में पूर्ण सहयोग देने का संकल्प लिया। उन्होंने जातिगत भेदभाव और उत्पीड़न के खिलाफ चलाए जाने वाले इस अभियान को अपना समर्थन दिया। इस एकता से संघर्ष को व्यापक जनआधार मिलने की उम्मीद है।
विभिन्न संगठनों के नेताओं ने कहा कि यह संयुक्त मोर्चा समाज में व्याप्त जातिगत असमानता के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ेगा। सभी संगठनों ने अपने-अपने स्तर पर इस आंदोलन को गति देने का वादा किया। इससे आंदोलन को बड़ी ताकत मिलेगी।
जिला स्तर पर अधिवेशनों की योजना
मंच के राज्य संयोजक आशीष कुमार ने बताया कि 15 नवंबर तक प्रदेश के सभी जिलों में अधिवेशन आयोजित किए जाएंगे। इन अधिवेशनों का उद्देश्य जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करना है। स्थानीय मुद्दों और समस्याओं पर चर्चा की जाएगी। जिला स्तर पर भी संगठनात्मक ढांचा तैयार किया जाएगा।
सह संयोजक राजेश कोष और मिन्टा जिंटा ने बताया कि 17 नवंबर को पूरे प्रदेश में व्यापक प्रदर्शन होंगे। यह प्रदर्शन शोषण मुक्ति मंच के बैनर तले आयोजित किए जाएंगे। इनका उद्देश्य प्रशासन का ध्यान जातिगत उत्पीड़न की घटनाओं की ओर खींचना है।
रोहड़ू और कुल्लू सैंज घटनाओं पर मांगें
नवगठित मंच ने हाल में घटित रोहड़ू और कुल्लू सैंज की घटनाओं पर गंभीर चिंता जताई। इन घटनाओं में उत्पीड़न के शिकार लोगों के परिवारों को न्याय दिलाने की मांग की गई। सिकंदर के परिवार को तत्काल सरकारी नौकरी और पर्याप्त मुआवजा दिए जाने की मांग की।
मंच के नेताओं ने कहा कि जातिगत उत्पीड़न की घटनाएं थमनी चाहिए। उन्होंने प्रशासन से इन मामलों में त्वरित कार्रवाई का आग्रह किया। साथ ही दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करने की मांग की। इन मुद्दों को लेकर आगामी प्रदर्शनों में जोरदार तरीके से उठाया जाएगा।
