India News: यूरोपीय संघ ने हाल ही में भारत की नायरा एनर्जी पर प्रतिबंध लगाए। यह कंपनी गुजरात के वडोदरा में 20 मिलियन टन की रिफाइनरी संचालित करती है। रूस की कंपनी रॉसनेफ्ट की 49.13% हिस्सेदारी के कारण यह निशाने पर आई। 18 जुलाई को घोषित 18वें प्रतिबंध पैकेज ने रूसी तेल से बने उत्पादों पर रोक लगाई। नायरा के तीन टैंकर अपने माल के साथ समुद्र में फंसे हैं।
टैंकरों की स्थिति
नायरा एनर्जी के तीन टैंकर अपने माल को उतार नहीं पा रहे। एलोरा टैंकर, जो 60 हजार टन जेट ईंधन लेकर पुर्तगाल के साइनस बंदरगाह पहुंचा, 18 जुलाई से वहां रुका है। दूसरा टैंकर, एमजेनिश, 40 हजार टन डीजल लेकर मलेशिया के त्यूजूंग तेलपास बंदरगाह से मलक्का जलडमरूमध्य में लंगर डाले है। तीसरा टैंकर, पैसेफिक मार्टिना, ओमान की खाड़ी में बिना खरीदार के भटक रहा है।
वैश्विक व्यापार पर प्रभाव
नायरा एनर्जी को वैश्विक व्यापार में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यूरोपीय कंपनियां और तेल सर्वेक्षक इसके उत्पादों से दूरी बना रहे हैं, भले ही भुगतान हो चुका हो। रॉसनेफ्ट ने इन प्रतिबंधों को अवैध और अनुचित बताया। नायरा ने भी कानूनी रास्ते तलाशने शुरू किए। कंपनी भारत की 8% रिफाइनिंग क्षमता और 7% फ्यूल रिटेल नेटवर्क संभालती है। रॉयटर्स की रिपोर्ट में इन टैंकरों का जिक्र है।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने इन प्रतिबंधों का विरोध किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत एक संप्रभु राष्ट्र है और उसका तेल खरीदना नीतिगत अधिकार है। नायरा एनर्जी मुख्य रूप से घरेलू जरूरतों के लिए तेल आयात करती है, न कि यूरोप को आपूर्ति के लिए। सरकार ने ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता बताया और एकतरफा प्रतिबंधों को खारिज किया। नायरा के 6,800 फ्यूल आउटलेट देशभर में फैले हैं।
कंपनी का इतिहास
नायरा एनर्जी, पहले एस्सार ऑयल के नाम से जानी जाती थी। यह भारत की दूसरी सबसे बड़ी एकल-साइट रिफाइनरी संचालित करती है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद रूस भारत का शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता बना, जो कुल आयात का 35% हिस्सा है। यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों ने नायरा की परिचालन क्षमता को प्रभावित किया। कंपनी अब वैकल्पिक बाजारों की तलाश में है।
