International News: यूरोपीय यूनियन ने रूस पर 18वां EU प्रतिबंध पैकेज लागू किया। इसका लक्ष्य रूस की तेल आय को कम करना है। रूसी कच्चे तेल पर नया मूविंग प्राइस कैप बाजार मूल्य से 15% कम होगा। भारत ने इन प्रतिबंधों की कड़ी आलोचना की। विदेश मंत्रालय ने इसे दोहरा मापदंड बताया। भारत ने कहा कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देगा। रूस के साथ भारत का व्यापार लगातार बढ़ रहा है।
रूस पर नए प्रतिबंधों का असर
यूरोपीय यूनियन के 27 देशों ने रूस के ऊर्जा क्षेत्र, बैंकों और शैडो फ्लीट को निशाना बनाया। भारत में रोसनेफ्ट की वडिनार रिफाइनरी भी प्रतिबंधों के दायरे में है। EU ने नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइनों पर लेनदेन प्रतिबंध लगाया। इसका मकसद रूस को आर्थिक रूप से कमजोर करना है। रूस की तेल आय युद्ध को वित्तीय मदद देती है। EU का दावा है कि ये प्रतिबंध युद्ध रोकने में मदद करेंगे। रूस ने इसे गैरकानूनी बताया।
भारत का रूस समर्थन
भारत ने EU के प्रतिबंधों को एकतरफा और अनुचित बताया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत एकतरफा प्रतिबंधों का समर्थन नहीं करता। भारत ने पश्चिमी देशों पर दोहरे मापदंड का आरोप लगाया। कई यूरोपीय देश रूसी गैस आयात करते हैं। भारत ने अपनी ऊर्जा नीति को स्पष्ट किया। वह रूस से रियायती तेल खरीदना जारी रखेगा। भारत ने कहा कि 140 करोड़ नागरिकों की ऊर्जा जरूरतें प्राथमिकता हैं।
तेल आयात और पश्चिमी दबाव
2022 से भारत ने रूस से तेल आयात बढ़ाया है। यह अब प्रतिदिन एक मिलियन बैरल से अधिक है। पहले यह लगभग शून्य था। रियायती दरों पर तेल खरीद भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करता है। पश्चिमी देश भारत पर तेल आयात रोकने का दबाव डाल रहे हैं। उनका दावा है कि इससे रूस को युद्ध के लिए धन मिलता है। भारत ने जवाब दिया कि पश्चिमी देश भी रूसी गैस खरीदते हैं। भारत अपनी नीति पर अडिग है।
