World News: पूर्वोत्तर इथियोपिया में हायली गुब्बी ज्वालामुखी लगभग 12,000 साल बाद फटा है। इस विस्फोट से उठा घना धुआं और राख का बादल 14 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंच गया है। सैटेलाइट तस्वीरों के मुताबिक यह राख का बादल लाल सागर के ऊपर से गुजरता हुआ भारत की ओर बढ़ रहा है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इससे उत्तर भारत के कई हिस्सों में हवाई यातायार प्रभावित हो सकता है और आकाश धुंधला दिखाई दे सकता है।
भारत में उड़ानों पर असर
ज्वालामुखीय राख केबादल के भारत की ओर बढ़ने के कारण कई एयरलाइंस ने उड़ानों में बदलाव किए हैं। इंडिगो एयरलाइन ने मुंबई और दक्षिण भारत से आने वाली छह उड़ानों को रद्द कर दिया है। एयर इंडिया ने स्थिति पर नजर रखते हुए यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता बताया है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने एयरलाइंस और हवाई अड्डों को संभावित मुश्किलों से निपटने के निर्देश जारी किए हैं।
किन राज्यों में दिखेगा असर
भारतीय मौसम विभाग केमहानिदेशक एम मोहपात्रा के अनुसार राख का बादल गुजरात से प्रवेश कर चुका है। यह दिल्ली-एनसीआर, राजस्थान, उत्तर-पश्चिम महाराष्ट्र, हरियाणा और पंजाब की ओर बढ़ेगा। बाद में इसके हिमालय और अन्य क्षेत्रों को प्रभावित करने की आशंका है। इससे आकाश सामान्य से अधिक धुंधला दिखेगा और दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है।
विस्फोट की विशेषताएं
स्मिथसोनियन संस्थान केग्लोबल वोल्कैनिज़्म प्रोग्राम के मुताबिक पिछले 12,000 वर्षों में हायली गुब्बी ज्वालामुखी के विस्फोट का यह पहला मामला है। विस्फोट के बाद राख का गुबार यमन, ओमान और पाकिस्तान होता हुआ भारत तक पहुंचा है। यह बादल 15,000 से 45,000 फुट की ऊंचाई के बीच फैला हुआ है और 100-120 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है।
स्थानीय स्तर पर प्रभाव
स्थानीय मीडियारिपोर्ट्स के अनुसार विस्फोट के बाद आसपास के गांवों पर धूल की मोटी परत जम गई है। एक अधिकारी ने बताया कि कोई हताहत नहीं हुआ है लेकिन राख से स्थानीय पशुपालकों की आजीविका प्रभावित हो सकती है। हताहतों या विस्थापितों की सही संख्या के बारे में अभी तुरंत कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। ज्वालामुखी का विस्फोट अब थम गया है लेकिन राख का बादल वायुमंडल में मौजूद है।
यात्रियों के लिए सलाह
एयरलाइंस नेयात्रियों से अपनी उड़ान की स्थिति की जांच करने का अनुरोध किया है। एयर इंडिया ने कहा कि उनकी ग्राउंड टीमें यात्रियों को लगातार जानकारी देती रहेंगी। विमानन सुरक्षा मानकों के अनुसार ज्वालामुखीय राख के बादल वाले क्षेत्रों में उड़ान भरना खतरनाक हो सकता है क्योंकि राख के छोटे कण विमान के इंजन को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए एयरलाइंस मार्ग बदलने या उड़ानें रद्द करने जैसे कदम उठा रही हैं।
भविष्य की आशंका
मौसम विभाग केअनुसार राख का बादल धीरे-धीरे पूर्व की ओर बढ़ रहा है और इसका असर कुछ घंटों तक रह सकता है। सतह के पास इसका कोई खास असर नहीं दिखेगा लेकिन आकाश में यह धुंधला और बादल जैसा दिखाई देगा। भारतीय मौसम विभाग और एविएशन नियामक इस स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं और आवश्यकता पड़ने पर और चेतावनी जारी कर सकते हैं।
