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Thursday, March 23, 2023

एनिमी प्रॉपर्टी का होगा नेशनल सर्वे: केंद्र सरकार का ऐलान, आई जानें क्या होती है एनिमी प्रॉपर्टी

Delhi News: केंद्र सरकार ने एनिमी प्रॉपर्टीज का एक नेशनल सर्वे शुरू किया है. ये सर्वे 20 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में चलेगा। इस सर्वे का उद्देश्य युद्ध के बाद पाकिस्तानी या चीनी नागरिकता लेने वाले लोगों की ओर से छोड़ी गई सभी संपत्तियों की पहचान करना और उनका मुद्रीकरण करना है. एनिमी प्रॉपर्टीज का नेशनल सर्वे उत्तर प्रदेश में शुरू हुआ, जहां ऐसी ज्यादातर संपत्तियां स्थित हैं. एक अधिकारी ने बताया है कि एनिमी प्रॉपर्टीज के मुद्रीकरण से सरकार को एक लाख करोड़ मिलने की उम्मीद है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा संपदा महानिदेशालय (डीजीडीई) की ओर से अपनी तरह के पहले नेशनल सर्वे में अभिरक्षक कार्यालय (सीईपीआई) की ओर से पहले से पहचानी गई 12000 से ज्यादा संपत्तियों की वर्तमान स्थिति और मूल्य का आकलन करना शामिल है. सीईपीआई गृह मंत्रालय के तहत आता है.

2020 में हुआ था एक समूह का गठन

सरकार ने पाकिस्तान और चीन जाने वाले लोगों की ओर से छोड़ी गई शत्रु संपत्तियों के मुद्रीकरण की निगरानी के लिए 2020 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में एक मंत्री समूह (GoM) का गठन किया था. 20 राज्यों और 3

केंद्रशासित प्रदेशों में कम से कम 12611 संपत्ति या शत्रु संपत्ति हैं, जिनमें से 12485 पाकिस्तानी नागरिकों से संबंधित हैं और 126 चीनी नागरिकों से संबंधित हैं. ऐसी अधिकांश संपत्तियां उत्तर प्रदेश में स्थित हैं, इसके बाद पश्चिम बंगाल और दिल्ली का स्थान है.

गृह मंत्रालय ने एडीजीडीई से किया था अनुरोध

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिसंबर 2022 में कहा था कि डीजीडीई रक्षा मंत्रालय के बाहर इस तरह के पहले सर्वे की प्रक्रिया शुरू करेगा. एक दूसरे अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि गृह मंत्रालय ने एनिमी प्रॉपर्टीज पर एक सर्वे करने के लि एडीजीडीई से अनुरोध किया था.

संपत्तियों के झूठे दावों की मिलती रहती हैं शिकायतें

अधिकारियों ने कहा कि इन संपत्तियों पर अतिक्रमण या झूठे दावों से संबंधित शिकायतें भी समय-समय पर मिलती रहती हैं, जिसकी वजह से इनके मुद्रीकरण की प्रक्रिया को तेज करना बहुत जरूरी है. पिछले साल जून में सीबीआई ने 53 लोगों के खिलाफ चार मामले दर्ज किए, जिनमें राज्य सरकार के कई अधिकारी शामिल थे, जिनपर यूपी में अवैध रूप से प्रमुख दुश्मन संपत्तियों को पट्टे पर देने का आरोप लगा था.

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