Delhi News: एंडोमेट्रियोसिस की वजह से निःसंतानता का दर्द झेल रही नम्रता ने आयुर्वेद की मदद से मां बनने का सपना पूरा किया। आशा आयुर्वेदा में डॉ. चंचल शर्मा के मार्गदर्शन में चार महीने के उपचार ने उनकी जिंदगी बदल दी। इस उपचार ने न केवल उनके असहनीय दर्द को खत्म किया, बल्कि प्राकृतिक गर्भधारण भी संभव बनाया। उनकी कहानी उन महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण है, जो इस बीमारी से जूझ रही हैं।
एंडोमेट्रियोसिस की चुनौती
नम्रता को दाहिनी ओवरी में सिस्ट और पीरियड्स के दौरान असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता था। छह दिन तक चलने वाले दर्द और हैवी ब्लीडिंग ने उनकी जिंदगी मुश्किल कर दी थी। शुरू में उन्होंने एलोपैथिक दवाएं लीं, लेकिन दो महीने तक कोई राहत नहीं मिली। निराशा के बीच उन्हें आशा आयुर्वेदा के बारे में पता चला, जहां आयुर्वेदिक उपचार से कई महिलाओं ने एंडोमेट्रियोसिस को हराया और मां बनने का सुख पाया।
आयुर्वेदिक उपचार का कमाल
नम्रता ने चार महीने तक आशा आयुर्वेदा में उपचार लिया, जिसमें उत्तरबस्ती थेरेपी और आयुर्वेदिक दवाएं शामिल थीं। डॉ. चंचल शर्मा के अनुसार, उत्तरबस्ती थेरेपी फैलोपियन ट्यूब की कार्यक्षमता को सुधारती है और अंडों की गुणवत्ता को बढ़ाती है। नम्रता ने अपनी जीवनशैली में भी बदलाव किए, जैसे संतुलित आहार और तनाव प्रबंधन। चार महीने बाद उनके पीरियड्स नियमित हुए, दर्द और हैवी ब्लीडिंग कम हुई। इसके बाद उन्होंने प्राकृतिक रूप से गर्भधारण किया और एक स्वस्थ बेटी को जन्म दिया।
स्वस्थ जीवन की ओर कदम
डॉ. चंचल शर्मा बताती हैं कि एंडोमेट्रियोसिस का आयुर्वेदिक उपचार सर्जरी के बिना भी प्रभावी है। यह न केवल दर्द से राहत देता है, बल्कि प्रजनन स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है। नम्रता की बेटी अब एक साल की है, और उन्हें अब किसी दवा की जरूरत नहीं है। वे पूरी तरह स्वस्थ और सामान्य जीवन जी रही हैं। उनकी यह कहानी आयुर्वेद की ताकत को दर्शाती है, जो बिना साइड इफेक्ट्स के जीवन को नई दिशा दे सकता है।
