Himachal News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी और वन भूमि पर अतिक्रमण को लेकर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने सरकार से कहा कि केवल छोटे कब्जाधारकों पर ही नहीं, बल्कि बड़े अतिक्रमणकर्ताओं पर भी सख्त कार्रवाई हो। यह निर्देश न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और बिपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ ने दिए। कोर्ट ने सरकार को पूरे प्रदेश में अतिक्रमण की स्थिति स्पष्ट करने के लिए स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।
एक समान कार्रवाई की मांग
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि वन भूमि पर अवैध बगीचे लगाने वाले मामलों में कार्रवाई केवल चैंथला और कुमारसैन जैसे गांवों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। पूरे प्रदेश में सरकारी और वन भूमि पर किए गए अतिक्रमण को हटाने के लिए एक समान कार्रवाई जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि सेब के बगीचों के साथ-साथ अन्य सभी अवैध कब्जों पर भी ध्यान देना होगा। यह आदेश छोटे किसानों और बड़े कब्जाधारकों के बीच भेदभाव की शिकायतों के बाद आया है।
सरकार की ओर से जवाब
राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि वह हाईकोर्ट के आदेशों का पालन कर रही है। वन और सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए विभाग पूरी ताकत से काम कर रहे हैं। सरकार ने यह भी स्वीकार किया कि सेब के बगीचों का प्रबंधन स्वयं करना उनके लिए संभव नहीं है। इस संबंध में सरकार ने हलफनामा दायर कर अपनी स्थिति स्पष्ट की है। अगली सुनवाई में सरकार को पूरे प्रदेश में अतिक्रमण की स्थिति पर विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट पेश करनी होगी।
कोर्ट का सख्त रुख
हाईकोर्ट ने सरकार से पूरे प्रदेश में अतिक्रमण की संख्या और उन पर की गई कार्रवाई का ब्योरा मांगा है। खंडपीठ ने जोर दिया कि कार्रवाई निष्पक्ष और पारदर्शी होनी चाहिए। छोटे किसानों के साथ-साथ बड़े कब्जाधारकों पर भी समान रूप से कानून लागू करना जरूरी है। यह कदम न केवल सरकारी जमीन की रक्षा करेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मदद करेगा।
