Himachal News: कुल्लू जिले का धारा-पोरिए गांव आजादी के 75 साल बाद पहली बार बिजली से रोशन हुआ है। इस ऐतिहासिक पल ने गांव वालों की जिंदगी बदल कर रख दी है। गांव में बिजली के साथ ही मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट भी पहली बार पहुंचा है। लोगों ने पहली बार वीडियो कॉल का अनुभव किया।
बुजुर्गों का कहना है कि अगर बिजली पहले आ जाती तो उनकी कई मुश्किलें कम हो जातीं। अब गांव की तस्वीर बदलने की उम्मीद है। बच्चे रात में पढ़ सकेंगे और महिलाएं सुरक्षित तरीके से अपने काम निपटा पाएंगी। यह क्षण गांव वालों के लिए ऐतिहासिक है।
दुर्गम इलाके में चुनौतीपूर्ण काम
बिजली पहुंचाने का काम आसान नहीं था। खड़ी चढ़ाई और पगडंडियों से होते हुए शैंशर से चार किलोमीटर दूर तक बिजली के खंभे ढोकर लगाए गए। गांव तक आज भी सड़क नहीं पहुंची है। ऐसे में बिजली का काम और भी मुश्किल हो गया था।
धारा-पोरिए गांव में केवल चार परिवार रहते हैं। तीन पीढ़ियों तक यहां के लोगों ने मोमबत्ती, लालटेन और सूरज की रोशनी के सहारे जिंदगी गुजारी। बिजली न होने से पूरा गांव बच्चों की पढ़ाई से लेकर बुजुर्गों की सुरक्षा तक संघर्ष करता रहा।
20 गांव अभी भी अंधेरे में
कुल्लू जिले के चारों उपमंडलों में अब भी 20 से अधिक गांव और उपगांव बिजली की रोशनी से वंचित हैं। इन क्षेत्रों के ग्रामीणों को डिजिटल युग में भी अंधेरे में जीवन यापन करना पड़ रहा है। सैंज घाटी के दुर्गम गांव शाक्टी, मरौड़ और शुगाड़ में भी अभी तक बिजली नहीं पहुंची है।
जिले के दूरदराज के इलाकों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। सड़कों की कमी इन क्षेत्रों तक विकास पहुंचाने में सबसे बड़ी बाधा है। स्थानीय लोगों का मानना है कि बिजली आने से अन्य विकास कार्यों को भी गति मिलेगी।
ऐतिहासिक क्षण
जब गांव में पहली बार बल्ब जला तो बच्चों की तालियों की आवाज दूर तक गूंज उठी। बुजुर्ग चुपचाप खड़े रहे और उनकी आंखों में आंसू छलक आए। उनके चेहरे पर ऐसी राहत थी जो शब्दों में बयान नहीं की जा सकती। यह क्षण उनके लिए सपने के सच होने जैसा था।
बिजली आने से गांव के युवाओं को नई रोशनी मिली है। अब वे डिजिटल दुनिया से जुड़ पाएंगे। शिक्षा और रोजगार के नए अवसर उनके लिए खुलेंगे। गांव की अगली पीढ़ी के लिए यह एक नई शुरुआत साबित होगी।
