Shimla News: राज्य सचिवालय से सीटीओ शिमला तक 10 करोड़ रुपये खर्च कर बिजली के तारों को भूमिगत किया जाएगा। गुरुवार को बहुउद्देशीय परियोजनाएं एवं बिजली बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने बिजली केबल भूमिगत करने को उचित निकासी की सुविधा सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए।
हर जिले की दो-दो पंचायतों में 500 किलोवाट से एक मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने का फैसला भी लिया। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि सचिवालय से सीटीओ शिमला के मध्य भूमिगत विद्युत केबल बिछाने के लिए 10 करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे।
इससे भारी बर्फबारी और प्रतिकूल मौसम में भी शिमला शहर में उपभोक्ताओं को निर्बाध और चौबीसों घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित होगी। उन्होंने अधिकारियों को लोगों की सुविधा के लिए राज्य के अन्य भागों में भी विद्युत केबल बिछाने की संभावनाएं तलाशने के निर्देश दिए। सुक्खू ने कहा कि प्रदेश में प्रचुर जल संसाधन उपलब्ध हैं। राज्य में जल विद्युत उत्पादन की कुल क्षमता 24567 मेगावाट है, जिसमें से 172 परियोजनाओं के माध्यम से 11150 मेगावाट बिजली का दोहन किया जा रहा है। वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 500 मेगावाट की क्षमता की नई सौर ऊर्जा परियोजनाएं शुरू करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
सरकार चंबा जिला के पांगी क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति के सुदृढ़ीकरण के लिए सौर ऊर्जा आधारित बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली स्थापित करने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पायलट आधार पर प्रदेश के प्रत्येक जिले की दो-दो पंचायतों को हरित पंचायत बनाने का निर्णय लिया है। इन पंचायतों में 500 किलोवाट से एक मेगावाट क्षमता वाली सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित की जाएंगी। बैठक में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, मुख्य संसदीय सचिव आशीष बुटेल, राज्य विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष डीके शर्मा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव भरत खेड़ा, सचिव बहुउद्देशीय परियोजनाएं एवं ऊर्जा राजीव शर्मा, बिजली बोर्ड के प्रबंध निदेशक हरिकेश मीणा मौजूद रहे।