Bihar News: पश्चिमी चंपारण की चनपटिया विधानसभा सीट के चुनाव परिणाम सामने आ रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार उमाकांत सिंह लगातार वोटों में आगे बने हुए हैं। कांग्रेस के अभिषेक रंजन दूसरे स्थान पर हैं। वहीं जन सुराज पार्टी के यूट्यूबर मनीष कश्यप तीसरे स्थान पर चल रहे हैं। मतगणना के सोलहवें दौर के बाद यह तस्वीर उभरी है।
मतगणना की शुरुआती गिनती ने त्रिकोणीय मुकाबले का संकेत दिया था। पर सोलहवें राउंड के बाद स्थिति साफ हो गई। अब मुख्य लड़ाई केवल भाजपा और कांग्रेस के बीच रह गई है। दोनों दलों के उम्मीदवारों के बीच मतों का अंतर लगभग पांच हजार के आसपास है।
वोटों की अंतरिम स्थिति
भाजपा प्रत्याशी उमाकांत सिंह को अब तक 61,517 वोट मिले हैं। कांग्रेस के अभिषेक रंजन को 56,060 वोटों का समर्थन मिला है। दोनों के बीच करीब 5,457 वोटों का फासला है। यह अंतर अब भी बरकरार है और दोनों के बीच कड़ा मुकाबला जारी है।
जन सुराज पार्टी के त्रिपुरारी कुमार तिवारी उर्फ मनीष कश्यप को केवल 23,483 वोट ही प्राप्त हुए हैं। वह पहले और दूसरे स्थान पर चल रहे उम्मीदवारों से काफी पीछे हैं। उनके और कांग्रेस के उम्मीदवार के बीच लगभग 32,500 वोटों का बड़ा अंतर है।
मनीष कश्यप का राजनीतिक सफर
मनीष कश्यप मूल रूप से एक लोकप्रिय यूट्यूबर हैं। सोशल मीडिया पर उनकी मजबूत पकड़ है। वह क्षेत्रीय मुद्दों पर अपनी बात रखते हैं। उन्होंने पहले भाजपा का दामन थामा था। बाद में उन्होंने पार्टी छोड़ दी और जन सुराज पार्टी में शामिल हो गए।
उनकी गिरफ्तारी भी चर्चा में रही। तमिलनाडु पुलिस ने उन्हें 2023 में गिरफ्तार किया था। आरोप था कि उन्होंने बिहार के प्रवासियों के बारे में गलत जानकारी फैलाई। रिहाई के बाद उन्होंने राजनीति में सक्रिय भूमिका निभानी शुरू की।
पिछले चुनाव की याद
चनपटिया सीट पर 2020 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने जीत दर्ज की थी। तब उमाकांत सिंह ने कांग्रेस के अभिषेक रंजन को 13,469 वोटों के अंतर से हराया था। इस बार फिर से दोनों नेताओं के बीच जोरदार竞争 है। पर अंतर पहले से कम है।
मनीष कश्यप के चुनाव मैदान में उतरने से इस सीट पर नया मोड़ आया था। शुरू में लगा था कि वह मतों का बंटवारा कर सकते हैं। पर मतगणना के नतीजे बता रहे हैं कि मतदाताओं ने राष्ट्रीय दलों को प्राथमिकता दी है।
सोशल मीडिया का प्रभाव
मनीष कश्यप के पास ऑनलाइन काफी बड़ा फॉलोइंग है। पर यह लोकप्रियता मतदान के दिन चुनावी समर्थन में नहीं बदल सकी। इससे साफ जाहिर होता है कि डिजिटल पॉपुलैरिटी और जमीनी वोट में फर्क होता है। चनपटिया के मतदाताओं ने पारंपरिक राजनीतिक दलों को ही चुना।
इस चुनाव नतीजे से यह भी पता चलता है कि बिहार की राजनीति में नए दलों के लिए जगह बनाना आसान नहीं है। मतदाता विकास और स्थिरता के मुद्दों को अहमियत देते हैं। सोशल मीडिया की लोकप्रियता अकेले चुनाव नहीं जितवा सकती।
भविष्य की राजनीति
चनपटिया सीट के नतीजे बता रहे हैं कि राज्य की राजनीति में राष्ट्रीय दलों का दबदबा कायम है। भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिल रहा है। नए और क्षेत्रीय दलों को मतदाताओं का भरपूर समर्थन नहीं मिल पा रहा है।
मनीष कश्यप की हार से यह सबक मिलता है कि जमीनी स्तर पर काम करना जरूरी है। सोशल मीडिया की पहुंच का फायदा तभी मिलता है जब जमीन पर मजबूत संगठन हो। बिना संगठन के चुनावी सफलता मुश्किल होती है। आने वाले समय में राजनीति में नए players के लिए यह एक सीख है।
