India News: भारतीय चुनाव आयोग ने सोमवार को 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण शुरू करने की घोषणा की। इस विशेष संशोधन अभियान का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूचियों से दोहरे और मृत मतदाताओं के नाम हटाना है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि यह प्रक्रिया चुनावों की अखंडता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है।
चुनाव आयोग के अनुसार यह विशेष पुनरीक्षण दो दशकों में सबसे बड़ा अभियान है। आयोग ने जोर देकर कहा कि यह कदम मतदाता सूचियों को अद्यतन और शुद्ध बनाने के लिए उठाया जा रहा है। इस प्रक्रिया में तकनीकी उपकरणों और डेटा विश्लेषण का उपयोग किया जाएगा। इससे सूचियों की सटीकता बढ़ेगी और चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी।
बिहार में विपक्ष के आरोप
मुख्य विपक्षीदल कांग्रेस ने बिहार में हुए सत्यापन अभियान को वोट चोरी करार दिया है। पार्टी का आरोप है कि इस दौरान लाखों वैध मतदाताओं के नाम सूची से गलत तरीके से हटा दिए गए। विपक्षी दलों का मानना है कि यह कार्रवाई राजनीतिक लाभ के लिए की गई है। उन्होंने चुनाव आयोग से तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की है।
चुनाव आयोग ने बिहार में हुए विशेष पुनरीक्षण को सफल बताया है। आयोग के अनुसार बिहार में तेजी से हो रहे शहरीकरण और पलायन के कारण एसआईआर की आवश्यकता थी। नए युवा मतदाताओं को जोड़ने और अवैध विदेशी नागरिकों के नाम हटाने के लिए भी यह अभियान चलाया गया। आयोग ने कहा कि इससे राज्य की मतदाता सूचियों में सुधार हुआ है।
पश्चिम बंगाल में विरोध प्रदर्शन
पश्चिम बंगाल में2026 के विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूचियों के विशेष पुनरीक्षण के खिलाफ सैकड़ों लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि इस प्रक्रिया से कई वैध मतदाताओं का नाम सूची से छूट सकता है। उन्होंने आयोग से इस अभियान को रोकने की मांग की। राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताई है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि पिछले कुछ दशकों से लगभग हर राजनीतिक पार्टी ने मतदाता सूची के शुद्ध न होने की शिकायत की है। उन्होंने कहा कि 1951 से 2004 तक आठ बार एसआईआर कराया गया है। आखिरी बार यह प्रक्रिया 21 साल पहले 2002 से 2004 के बीच पूरी की गई थी। इसलिए वर्तमान संशोधन अभियान की आवश्यकता थी।
एसआईआर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारत मेंमतदाता सूचियों के विशेष पुनरीक्षण का लंबा इतिहास रहा है। चुनाव आयोग ने पहली बार 1951 में यह प्रक्रिया शुरू की थी। तब से अब तक कुल आठ बार देशव्यापी एसआईआर अभियान चलाए जा चुके हैं। हर बार इसका उद्देश्य मतदाता सूचियों को अधिक सटीक और अप टू डेट बनाना रहा है। नवीनतम तकनीकी साधनों का उपयोग कर इस बार की प्रक्रिया को और प्रभावी बनाया गया है।
चुनाव आयोग ने बताया कि एसआईआर का पहला चरण पूरा हो गया है। अब अगले चरण में शामिल राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विस्तृत कार्यवाही की जाएगी। इस दौरान नए मतदाताओं के पंजीकरण के साथ साथ पुराने रिकॉर्ड का सत्यापन भी किया जाएगा। आयोग ने नागरिकों से इस प्रक्रिया में सहयोग देने की अपील की है।
मतदाता सूची शुद्धिकरण की चुनौतियाँ
मतदातासूचियों के संशोधन की प्रक्रिया में कई चुनौतियाँ सामने आती हैं। तेजी से बदलती जनसांख्यिकी और बड़े पैमाने पर होने वाला पलायन मुख्य मुद्दे हैं। शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का अपने मतदाता क्षेत्र में पंजीकरण न होना एक बड़ी समस्या है। चुनाव आयोग ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए विशेष रणनीति बनाई है।
आयोग ने स्पष्ट किया कि विशेष पुनरीक्षण का उद्देश्य किसी विशेष समूह को प्रभावित करना नहीं है। यह पूरी तरह से तटस्थ और नियमों के अनुसार संपन्न की जाने वाली प्रक्रिया है। नागरिकों की शिकायतों के निवारण के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। कोई भी व्यक्ति अपने नाम में किसी त्रुटि की सूचना दे सकता है।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
विभिन्न राजनीतिक दलोंने इस विशेष पुनरीक्षण अभियान पर अलग अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं। जहाँ कुछ दलों ने इस कदम का स्वागत किया है वहीं अन्य ने आशंकाएं जताई हैं। सभी दल चुनाव आयोग से मतदाता सूचियों की शुद्धता सुनिश्चित करने का आग्रह कर रहे हैं। आयोग ने सभी हितधारकों के साथ निरंतर संवाद बनाए रखने का आश्वासन दिया है।
चुनाव आयोग ने भविष्य में अन्य राज्यों में भी इसी तरह के विशेष पुनरीक्षण अभियान चलाने की योजना बनाई है। इससे पूरे देश में मतदाता सूचियों की गुणवत्ता में सुधार होगा। आयोग का लक्ष्य है कि आने वाले चुनावों में हर वैध मतदाता का नाम सूची में दर्ज हो और कोई अवैध नाम शामिल न हो। इस दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
