Himachal News: मंडी के पारिवारिक न्यायालय ने 75 वर्षीय पुरुषोत्तम राम को उनके बेटों से मासिक गुजारा भत्ता दिलाने का फैसला सुनाया। दोनों बेटों को 2,500-2,500 रुपये प्रति माह देने और 5,000 रुपये मुकदमे का खर्च अदा करने का आदेश दिया गया। यह राशि याचिका दाखिल होने की तारीख से लागू होगी।
बेटों पर आरोप
पुरुषोत्तम राम ने अपनी पैतृक और स्वअर्जित संपत्ति बेटों दिलीप सिंह और नवल किशोर को दी थी। इसके बावजूद बेटों ने उन्हें अक्टूबर 2023 में घर से निकाल दिया। कोटली पुलिस चौकी में शिकायत के बाद समझौता हुआ, लेकिन मई 2024 में फिर निकाला गया। वह अब मजदूरी कर रहे हैं।
बेटों की आर्थिक स्थिति
याचिकाकर्ता ने बताया कि दोनों बेटे आर्थिक रूप से सक्षम हैं। एक बेटा मिस्त्री है, दूसरा ऑटो चलाता है और जमीन का मालिक है। उनकी मासिक आय 50,000 रुपये से अधिक है। कोर्ट में बेटों ने सबूतों और गवाही का खंडन नहीं किया। मामला एकतरफा कार्यवाही में चला गया।
कोर्ट का फैसला
न्यायालय ने माना कि बेटों ने अपनी कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी निभाने में चूक की। सक्षम होने के बावजूद उन्होंने बुजुर्ग पिता की देखभाल नहीं की। कोर्ट ने तीन महीने में बकाया राशि देने का आदेश दिया। ऐसा न करने पर कानूनी कार्रवाई होगी। अधिक जानकारी के लिए हिमाचल सरकार की वेबसाइट देखें।
बुजुर्ग की स्थिति
पुरुषोत्तम राम कोटली के सरवारी गांव के निवासी हैं। घर से निकाले जाने के बाद वह अमरनाथ के घर रह रहे हैं। जीवनयापन के लिए मजदूरी करनी पड़ रही है। उनकी याचिका में बेटों की उपेक्षा का जिक्र किया गया, जिसे कोर्ट ने गंभीरता से लिया।
कानूनी प्रावधान
पारिवारिक न्यायालय ने बुजुर्ग अधिकारों को प्राथमिकता दी। कोर्ट ने माना कि वृद्ध माता-पिता की देखभाल बेटों की जिम्मेदारी है। यह फैसला अन्य मामलों में भी उदाहरण बनेगा। गुजारा भत्ता सुनिश्चित कर बुजुर्गों को सम्मानजनक जीवन देने का प्रयास किया गया।
