शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

शिक्षा विभाग: हिमाचल के 592 शिक्षकों को डिमोट करने की तैयारी, जारी हुए कारण बताओ नोटिस

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Himachal News: हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कार्यरत 592 प्रवक्ताओं को डिमोट करने की तैयारी है। स्कूल शिक्षा निदेशालय ने शनिवार को इन सभी शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में पूछा गया है कि उन्हें डिमोट क्यों न किया जाए। यह कार्रवाई प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में की जा रही है।

शिक्षा विभाग के अनुसार, टीजीटी से प्रवक्ता पद पर पदोन्नति के लिए वरिष्ठता सूची में संशोधन किया जा रहा है। संशोधित वरिष्ठता सूची के अनुसार ये शिक्षक वरिष्ठता क्रम में पीछे चले जाएंगे। विभाग ने शिक्षकों को सात दिनों के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है।

उच्च न्यायालय के आदेश से जुड़ा मामला

यह मामला प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश से सीधे जुड़ा हुआ है। उच्च न्यायालय ने पूर्णिमा कुमारी बनाम राज्य सरकार मामले में सितंबर 2024 में निर्देश दिए थे। अदालत ने टीजीटी से पीजीटी पदोन्नति की वरिष्ठता सूची में संशोधन करने को कहा था। इसके बाद नया संशोधित वरिष्ठता क्रम जारी करने के निर्देश दिए गए थे।

अदालत के आदेशों का पालन करते हुए विभाग ने सितंबर 2025 में अंतिम वरिष्ठता सूची जारी की। संशोधित सूची के अनुसार लगभग 2700 टीजीटी शिक्षकों की वरिष्ठता में बदलाव हुआ है। इस बदलाव ने पदोन्नति के समीकरण बदल दिए हैं।

पदोन्नति प्रक्रिया का इतिहास

सरकार ने फरवरी 2025 में “हिमाचल प्रदेश भर्ती एवं सरकारी कर्मचारियों की सेवा की शर्तें अधिनियम, 2024” लागू किया था। इस अधिनियम के अनुसार नियमित रूप से नियुक्त कर्मचारियों को ही वरिष्ठता और पदोन्नति जैसी सुविधाएं मिलेंगी। इसी दौरान विभाग ने टीजीटी से प्रवक्ता पदों के लिए नए विकल्प मांगे।

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जुलाई 2025 में विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में 642 शिक्षकों को प्रवक्ता-स्कूल न्यू पद पर पदोन्नत किया गया। ये सभी पदोन्नतियां पुरानी वरिष्ठता सूची के आधार पर की गई थीं। teacher transfer और पदोन्नति की यह प्रक्रिया अब विवादों में घिर गई है।

अवमानना याचिका और कोर्ट का सख्त रुख

हाई कोर्ट में एक अवमानना याचिका दाखिल की गई थी। याचिका में तर्क दिया गया कि विभाग ने वरिष्ठता संशोधन किए बिना कनिष्ठ शिक्षकों को पदोन्नत कर दिया है। अदालत ने इस मामले पर सख्त रुख अपनाया और सचिव (शिक्षा) को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने के निर्देश दिए।

न्यायालय ने विभाग को संशोधित वरिष्ठता के आधार पर कार्रवाई करने का आदेश दिया। इसके बाद ही विभाग ने नई वरिष्ठता सूची जारी की। नई सूची के आधार पर ही अब कार्रवाई की जा रही है। education department को अदालत के आदेशों का पालन करना अनिवार्य है।

विभाग की मजबूरी और चुनौतियां

विभाग के पास इन शिक्षकों को डिमोट करने के अलावा कोई विकल्प नहीं दिख रहा है। 592 पदों का एक साथ समायोजन करना संभव नहीं है। विभाग में एक ही श्रेणी में इतने अधिक पद खाली नहीं हैं। पहले से ही कई श्रेणियों में भर्तियों की प्रक्रिया चल रही है।

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यदि इन शिक्षकों को समायोजित किया जाता है तो पूरी प्रक्रिया में असंतुलन आ जाएगा। विभाग के समक्ष यह एक गंभीर प्रशासनिक चुनौती है। संसाधनों की कमी और पदों की उपलब्धता इस समस्या को और जटिल बना रही है।

शिक्षक संघ का पक्ष

राजकीय अध्यापक संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने विभाग के फैसले पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि शिक्षक 2019 से 2025 के बीच पदोन्नत हुए हैं। ऐसे में उनके पदोन्नति आदेश वापस लेना उचित नहीं है। उन्होंने एक वैकल्पिक समाधान सुझाया है।

चौहान का सुझाव है कि विभाग इन शिक्षकों के लिए विशेष पद सृजित करे। इससे ये शिक्षक उन्हीं पदों पर पढ़ाना जारी रख सकेंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि पदोन्नति आदेश निरस्त करने से कानूनी विवाद और बढ़ेंगे। शिक्षक भी न्यायालय का रुख कर सकते हैं।

आगे की संभावित कार्रवाई

विभाग ने अभी कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। शिक्षकों के जवाब आने के बाद ही अगले कदम उठाए जाएंगे। यदि इन शिक्षकों की पदोन्नति निरस्त की जाती है तो वे कोर्ट जा सकते हैं। वे न्यायालय से राहत की मांग कर सकते हैं।

यह महत्वपूर्ण है कि इन शिक्षकों की पदोन्नति में कोई व्यक्तिगत गलती नहीं है। विभागीय प्रक्रिया के अनुरूप ही उन्हें पदोन्नत किया गया था। इसलिए इस मामले में संवेदनशीलता बरतने की आवश्यकता है। अगले सात दिन इस मामले के लिए निर्णायक साबित होंगे।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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