Himachal News: हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अब शिक्षक हेल्प बुक या गाइड बुक से पढ़ा नहीं सकेंगे। शिक्षा विभाग ने कक्षाओं में हेल्प बुक के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। निदेशक आशीष कोहली ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं।
नए आदेश के अनुसार क्या होगा?
शिक्षा विभाग के निर्देश के अनुसार अब केवल एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकें ही कक्षा में पढ़ाई के लिए मान्य होंगी। विभाग का मानना है कि हेल्प बुक बच्चों को तैयार जवाब देती हैं जबकि वास्तविक शिक्षा का उद्देश्य बच्चों में सोचने-समझने की क्षमता विकसित करना है। आदेश का उल्लंघन करने वाले शिक्षकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
क्यों लगाई गई है यह रोक?
शिक्षा विभाग ने पाया कि कुछ स्कूलों में शिक्षक बच्चों को हेल्प बुक से पढ़ा रहे थे। इससे बच्चों की सोच और समझने की क्षमता प्रभावित हो रही थी। विभाग चाहता है कि बच्चे स्वयं सोचें और प्रश्न पूछें न कि तैयार जवाबों पर निर्भर रहें। यह निर्णय छात्रों की रचनात्मक सोच को बढ़ावा देने के लिए लिया गया है।
कैसे लागू होंगे ये नियम?
सभी जिलों के उपनिदेशकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इस आदेश का पालन सुनिश्चित करें। कोई भी शिक्षक या स्कूल प्रमुख यदि इन नियमों की अनदेखी करता पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। विभाग की निगरानी टीमें स्कूलों का निरीक्षण करेंगी और किसी भी तरह के उल्लंघन पर तत्काल action लेंगी।
क्या है हेल्प बुक का असर?
शिक्षा विशेषज्ञों के अनुसार हेल्प बुक बच्चों की सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं। ये किताबें बच्चों को रटने की आदत डालती हैं और उनकी analytical skills को कमजोर करती हैं। एनसीईआरटी की किताबें conceptual clarity पर ध्यान केंद्रित करती हैं जो बच्चों के समग्र विकास के लिए आवश्यक है।
शिक्षकों की क्या भूमिका होगी?
अब शिक्षकों को एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के आधार पर स्वयं पढ़ाना होगा। उन्हें creative teaching methods का इस्तेमाल करना होगा। विभाग शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करेगा ताकि वे बिना हेल्प बुक के प्रभावी ढंग से पढ़ा सकें। इससे शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद है।
