New Delhi: भारत में शिक्षा का स्तर लगातार महंगा होता जा रहा है। साल 2025 में सामने आए आंकड़े हर अभिभावक को डरा रहे हैं। अब एक बच्चे की स्कूली शिक्षा पूरी कराने में 22 लाख रुपये तक खर्च हो रहे हैं। यह दावा चार्टर्ड अकाउंटेंट और टीचर मीनल गोयल ने किया है। उनके मुताबिक, बढ़ती महंगाई ने मिडिल क्लास परिवारों की चिंता बढ़ा दी है। मीनल की रिपोर्ट ने देश में शिक्षा की लागत पर नई बहस छेड़ दी है।
खर्च का पूरा गणित
मीनल गोयल ने सोशल मीडिया पर शिक्षा के खर्च का पूरा हिसाब दिया है। उन्होंने बताया कि एक सामान्य प्राइवेट स्कूल में कक्षा 1 से 12वीं तक का खर्च 20 से 22 लाख रुपये है। इसमें ट्यूशन, किताबें, ड्रेस, ट्रांसपोर्ट और गैजेट्स का खर्च शामिल है। प्रीमियम स्कूलों में यह लागत दोगुनी भी हो सकती है।
मीनल के अनुसार खर्च का विवरण इस प्रकार है:
- प्राइमरी स्कूल (कक्षा 1-5): 5.75 लाख रुपये
- मिडिल स्कूल (कक्षा 6-8): 5.9 लाख रुपये
- हाई स्कूल (कक्षा 9-12): 9.2 लाख रुपये
महंगाई से ज्यादा बढ़ी फीस
महंगी होती शिक्षा के दावे सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित नहीं हैं। नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) की 2024 की रिपोर्ट भी यही संकेत देती है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 10 साल में प्राइवेट स्कूलों की फीस 169% बढ़ी है। यह बढ़ोतरी लोगों की वेतन वृद्धि और सामान्य महंगाई दर से कहीं ज्यादा है।
लोकलसर्कल्स के 2025 के सर्वे में भी चौंकाने वाली बात सामने आई। सर्वे में शामिल 81% अभिभावकों ने माना कि फीस में 10% से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। वहीं, 22% लोगों ने 30% से अधिक की हाइक झेली है। दिल्ली, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे शहरों में शिक्षा सबसे महंगी हो गई है।
कर्ज के बोझ तले अभिभावक
मीनल ने अपनी पोस्ट में एक दंपती का जिक्र किया। उन्होंने पैसों की कमी के कारण बच्चे को स्कूल न भेजने का फैसला लिया। आज भारतीय परिवार शिक्षा के लिए लोन ले रहे हैं। कई लोग अपनी बुनियादी जरूरतों में कटौती कर रहे हैं। विकसित देशों जितनी फीस देने के बाद भी शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। यह स्थिति मध्यमवर्ग के भविष्य के लिए खतरा है।
