India News: प्रवर्तन निदेशालय ने सहारा ग्रुप के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने छह सितंबर को धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत आरोप पत्र दाखिल किया है। इस मामले में जीतेन्द्र प्रसाद वर्मा और अनिल विलापरमपिल अब्राहम को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। दोनों पर संपत्तियों को गुप्त रूप से बेचने का आरोप है।
जांच में पता चला कि सहारा ग्रुप ने जनता से जमा कराए गए पैसों से खरीदी गई संपत्तियों को चोरी-छिपे बेच दिया। इससे मोटी रकम हड़प ली गई। इस पूरी प्रक्रिया में कई बड़े अधिकारी और सहयोगी शामिल थे। ईडी ने इस मामले में विस्तृत जांच जारी रखी है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश और रिफंड प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सहारा ग्रुप ने अब तक सोलह हजार एक सौ अड़तीस करोड़ रुपये जमा कराए हैं। इनमें से पांच हजार करोड़ रुपये कोऑपरेटिव सोसायटियों के जमाकर्ताओं को लौटाने के लिए दिए गए थे। अब तक लाखों जमाकर्ताओं को उनका पैसा वापस मिल चुका है।
सुप्रीम कोर्ट ने बारह सितम्बर को अतिरिक्त पांच हजार करोड़ रुपये जारी करने की मंजूरी दी है। इससे और जमाकर्ताओं को उनका धन वापस मिलने की उम्मीद है। ईडी की सक्रियता के बाद रिफंड प्रक्रिया में तेजी आई है। खाते में शेष बची राशि भी भविष्य में लौटाई जाएगी।
धोखाधड़ी और पोंजी स्कीम का खुलासा
प्रवर्तन निदेशालय की जांच में पोंजी स्कीम का खुलासा हुआ है। जमाकर्ताओं को मेच्योरिटी पर पैसा लौटाने के बजाय फिर से निवेश के लिए मजबूर किया जाता था। कंपनी ने अपने खाता-बही में हेराफेरी की और देनदारियों को एक कंपनी से दूसरी कंपनी में स्थानांतरित किया।
जमा राशि का उपयोग बेनामी संपत्तियां खरीदने, निजी खर्चों और अवैध ऋण देने में किया गया। यह सब सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के विपरीत किया गया। ईडी ने इन सभी गतिविधियों का पता लगाया है और कार्रवाई जारी रखी है।
अब तक की कार्रवाई
प्रवर्तन निदेशालय ने अब तक चार आदेश जारी कर बेनामी जमीनों और अन्य संपत्तियों को जब्त किया है। गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपी फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। जांच अभी भी जारी है और सहारा के बड़े अधिकारियों तथा विदेशी लेन-देन की जांच की जा रही है।
ईडी के दबाव के कारण सहारा ग्रुप को जमाकर्ताओं को पैसा लौटाना पड़ा। इससे लाखों लोगों को राहत मिली है। आने वाले समय में और भी जमाकर्ताओं को उनका अटका हुआ धन वापस मिलने की संभावना है। मामले में आगे की कार्रवाई की प्रतीक्षा है।
