शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

ED कार्रवाई: फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में 415 करोड़ के घोटाले का खुलासा, जानें क्या है फर्जी मान्यता से जुड़ा मामला

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Haryana News: प्रवर्तन निदेशालय ने फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया है। उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। ईडी का दावा है कि विश्वविद्यालय ने अभिभावकों से फर्जी मान्यता के दावे करके करोड़ों रुपये की हेराफेरी की है। अनुमानित घोटाले की रकम 415 करोड़ रुपये से अधिक बताई जा रही है। अदालत ने जवाद अहमद को 13 दिन की ईडी कस्टडी में भेज दिया है।

ईडी ने चौदह नवंबर को अल-फलाह ग्रुप के खिलाफ मामला दर्ज किया था। जांच में पता चला कि ट्रस्ट ने 2014-15 से 2024-25 के बीच करोड़ों रुपये के लेनदेन को स्वैच्छिक योगदान और शैक्षिक प्राप्तियां दिखाया। इसी आधार पर एजेंसी ने चेयरमैन की गिरफ्तारी के लिए कार्रवाई की। गिरफ्तारी धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा उन्नीस के तहत की गई है।

आतंकी संबंधों का मामला

यह मामला तब और गंभीर हो गया जब जम्मू-कश्मीर पुलिस ने विश्वविद्यालय परिसर से भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद किए। दस नवंबर को हुई इस कार्रवाई में कई संदिग्धों को हिरासत में लिया गया। इसके बाद दिल्ली के लाल किले के सामने हुए विस्फोट के संदर्भ में भी अल-फलाह यूनिवर्सिटी का नाम सामने आया। गृह मंत्रालय ने पूरे मामले की जांच एनआईए को सौंप दी है।

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ईडी ने अदालत में कहा कि जवाद सिद्दीकी का ट्रस्ट पर पूरा नियंत्रण है। एजेंसी को आशंका है कि अगर उन्हें कस्टडी में नहीं लिया गया तो वह सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं। विश्वविद्यालय के फीस ढांचे, डोनेशन, फंड प्रवाह और बेनामी संपत्तियों की जांच के लिए कस्टडी जरूरी बताई गई। अदालत ने ईडी की इस दलील को स्वीकार कर लिया।

घोटाले का तरीका

अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट ने आयकर रिटर्न में बड़ी रकम को दान और शैक्षिक आय के रूप में प्रस्तुत किया। जांच में पता चला कि यह पैसा अभिभावकों से फर्जी मान्यताओं के बहाने वसूला गया था। ईडी ने दस साल के वित्तीय लेनदेन का विश्लेषण किया है। इसी विश्लेषण के आधार पर चार सौ पंद्रह करोड़ रुपये के घोटाले का अनुमान लगाया गया है।

गिरफ्तारी से पहले ईडी ने जवाद अहमद सिद्दीकी के दिल्ली स्थित कार्यालय पर छापेमारी की थी। उस दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए थे। इन दस्तावेजों के अध्ययन के बाद ही गिरफ्तारी का फैसला लिया गया। एजेंसी का मानना है कि यह मामला केवल वित्तीय धोखाधड़ी तक सीमित नहीं है।

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ईडी की जांच ट्रस्ट द्वारा अर्जित फंड के गैरकानूनी इस्तेमाल पर केंद्रित है। शुरुआती जांच से पता चलता है कि धन का उपयोग अवैध गतिविधियों के लिए किया गया हो सकता है। एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या यह पैसा आतंकी गतिविधियों को वित्तपोषित करने में गया है। इस संबंध में और सबूत जुटाए जा रहे हैं।

बड़ी कार्रवाई की ओर इशारा

यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को छूता है। विश्वविद्यालय का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए कथित तौर पर कवर के रूप में किया गया प्रतीत होता है। एनआईए और ईडी का संयुक्त तौर पर काम करना इस बात का संकेत देता है कि यह एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है। भविष्य में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।

ईडी की कार्रवाई ने शैक्षिक संस्थानों में वित्तीय अनियमितताओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला देश भर में अन्य समान संस्थानों के लिए एक चेतावनी का काम कर सकता है। नियामक संस्थाएं अब ऐसे ट्रस्टों और विश्वविद्यालयों की जांच पर विशेष ध्यान दे सकती हैं। इससे शैक्षिक क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़ने की उम्मीद है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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