Himachal News: हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक आपदा और आर्थिक संकट से जूझ रहा है। सरकार 1000 करोड़ रुपये का नया कर्ज लेने जा रही है। यह ऋण 22 वर्षों के लिए होगा। 29 जुलाई को नीलामी होगी और 30 जुलाई को राशि सरकार के खाते में आएगी। इस कर्ज के साथ राज्य का कुल कर्ज 1,00,075 करोड़ रुपये हो जाएगा। यह स्थिति चिंताजनक है।
कर्ज का बोझ बढ़ा
नए कर्ज से हिमाचल पर कर्ज का आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपये पार कर गया। सरकार को हर महीने 2,800 करोड़ रुपये की देनदारियां चुकानी पड़ रही हैं। इसमें 2,000 करोड़ वेतन, 800 करोड़ पेंशन और 500 करोड़ ब्याज भुगतान में खर्च होते हैं। 300 करोड़ रुपये पुराने कर्ज की अदायगी में जाते हैं। यह आर्थिक संकट सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
कर्मचारियों का डीए अटका
आर्थिक तंगी के कारण सरकार 15 मई, 2025 से घोषित 3 प्रतिशत महंगाई भत्ता लागू नहीं कर सकी। चालू वित्त वर्ष में 7,000 करोड़ रुपये कर्ज लेने की अनुमति है। जुलाई तक 5,200 करोड़ का कर्ज लिया जा चुका है। अब केवल 1,800 करोड़ की उधारी की गुंजाइश बची है। सरकार को केंद्र से अतिरिक्त कर्ज की अनुमति की उम्मीद है।
वित्तायोग पर टिकी उम्मीद
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 16वें वित्तायोग के अध्यक्ष से कई बार मुलाकात की। उन्होंने कहा कि 15वें वित्तायोग में राजस्व घाटा अनुदान 10,000 करोड़ से घटाकर 3,000 करोड़ करने से वित्तीय अस्थिरता बढ़ी। 2025-26 का वित्तीय वर्ष चुनौतीपूर्ण होगा। हिमाचल की वित्तीय सेहत 16वें वित्तायोग की सिफारिशों पर निर्भर है, जो 1 अप्रैल, 2026 से लागू होंगी।
