Kamchatka News: रूस के सुदूर पूर्वी इलाके कामचटका प्रायद्वीप में शुक्रवार सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वे के मुताबिक इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7.8 मापी गई। भूकंप का केंद्र जमीन से लगभग 10 किलोमीटर की गहराई में था। क्षेत्र के गवर्नर ने पूर्वी तट के लिए सुनामी चेतावनी जारी की है।
कामचटका क्षेत्र के गवर्नर व्लादिमीर सोलोदोव ने टेलीग्राम के माध्यम से जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि पूर्वी तट पर सुनामी के खतरे को देखते हुए तत्काल चेतावनी जारी की गई है। स्थानीय लोगों को इस संभावित खतरे के बारे में पहले ही सचेत कर दिया गया था। अभी तक किसी प्रकार के नुकसान की सूचना नहीं मिली है।
अमेरिकी सुनामी चेतावनी प्रणाली ने इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि इस भूकंप के बाद फिलहाल बड़े सुनामी का कोई खतरा नहीं है। विशेषज्ञों ने स्थिति पर लगातार नजर बनाए रखी है। वे किसी भी नए विकास की जानकारी तुरंत जारी करेंगे।
लगातार आ रहे हैं झटके
यह इलाका दुनिया के सबसे सक्रिय भूकंपीय क्षेत्रों में शामिल है। यहां प्रशांत प्लेट और उत्तरी अमेरिकी प्लेट आपस में मिलती हैं। इस भूवैज्ञानिक स्थिति के कारण यहां भूकंप का आना एक सामान्य घटना है। शनिवार को भी इसी क्षेत्र में 7.4 तीव्रता का एक भूकंप दर्ज किया गया था।
प्रशांत सुनामी चेतावनी केंद्र ने स्पष्ट किया कि इस भूकंप से सुनामी का खतरा नहीं है। शुरुआत में इस भूकंप की तीव्रता 7.5 बताई गई थी। बाद में इसे घटाकर 7.4 कर दिया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षेत्र में भूकंप की इस तीव्रता की घटनाएं नियमित रूप से होती रहती हैं।
जुलाई में आया था भीषण भूकंप
इससे पहले 29 जुलाई 2025 को कामचटका तट के पास 8.8 तीव्रता का भीषण भूकंप आया था। इसे पिछले एक दशक के सबसे बड़े भूकंपों में गिना जा रहा है। आधुनिक रिकॉर्ड में इसे छठा सबसे बड़ा भूकंप भी माना गया है। उस समय कई देशों में सुनामी चेतावनी जारी की गई थी।
रूस, जापान, अलास्का, गुआम और हवाई समेत कई प्रशांत द्वीपों तक यह चेतावनी पहुंचाई गई थी। कामचटका के तटीय इलाकों में तीन से चार मीटर ऊंची लहरें दर्ज की गईं। स्थानीय प्रशासन ने लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का काम किया था।
जापान की मौसम विज्ञान एजेंसी ने भी अपने तटीय इलाकों के लिए चेतावनी जारी की थी। अमेरिका के पश्चिमी तट पर भी सतर्कता बरती गई थी। हालांकि वहां बड़े पैमाने पर नुकसान की आशंका नहीं थी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह क्षेत्र भूगर्भीय दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है।
