Science News: वैज्ञानिकों ने पृथ्वी का एक नया साथी खोज निकाला है। अर्जुन 2025 पीएन 7 नामक यह एस्टेरॉयड 1960 से पृथ्वी के साथ चक्कर लगा रहा है। अनुमान है कि यह 2080 तक इसी तरह पृथ्वी का साथ निभाता रहेगा। वैज्ञानिक इसे क्वासी-मून की श्रेणी में रखते हैं। यह खोज अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
क्वासी-मून की विशेषताएं
क्वासी-मून एक विशेष प्रकार के खगोलीय पिंड होते हैं। ये पृथ्वी का चक्कर तो लगाते हैं लेकिन स्थायी रूप से नहीं। अर्जुन 2025 पीएन 7 ने 1960 में पृथ्वी का चक्कर लगाना शुरू किया। यह लगभग 120 वर्षों तक पृथ्वी का साथी बना रहेगा। इन पिंडों की सूर्य की परिक्रमा की अवधि पृथ्वी के समान होती है।
वैज्ञानिक शोध के निष्कर्ष
आईओपी साइंस वेबसाइट पर प्रकाशित शोध पत्र के अनुसार यह एस्टेरॉयड सदी से अधिक समय से स्थिर अवस्था में है। यह पृथ्वी की कक्षा के साथ सूर्य का चक्कर लगाता है। छोटे चंद्रमा पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से अस्थायी रूप से प्रभावित होते हैं। वहीं क्वासी-मून बिना खिंचाव के पास ही रहते हैं। ये नाजुक गुरुत्वाकर्षण संतुलन में रहते हैं।
ऐतिहासिक संदर्भ
पृथ्वी के साथ घूमने वाले पिंडों की कहानी 1991वीजी की खोज से शुरू हुई। यह पृथ्वी जैसी कक्षा में पाया गया पहला एस्टेरॉयड था। उस समय इसकी निकटता ने कई अजीब सिद्धांतों को जन्म दिया। कुछ लोगों ने इसे एलियन प्रोब तक बताया। दशकों के शोध के बाद पता चला कि ऐसे पिंड प्राकृतिक होते हैं।
अन्य समान पिंड
अर्जुन 2025 पीएन 7 पृथ्वी का एकमात्र क्वासी-मून नहीं है। कामोआलेवा 2016 एचओ3 भी इसी श्रेणी में आता है। कार्डिया 2004 जीयू9 और 2023 एफडब्ल्यू13 भी इस सूची में शामिल हैं। ये सभी पिंड पृथ्वी-चंद्रमा प्रणाली के साथ गति करते रहते हैं। प्रत्येक नई खोज इस जटिल प्रणाली को समझने में मदद करती है।
वैज्ञानिक महत्व
अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए 2025 पीएन7 सिर्फ एक और पत्थर नहीं है। यह ब्रह्मांड में पृथ्वी के पड़ोस की प्रकृति को समझने का संकेत देता है। इस खोज से छोटे पिंडों की गतिशीलता को बेहतर ढंग से समझा जा सकता है। भविष्य की अंतरिक्ष खोजों के लिए यह जानकारी महत्वपूर्ण साबित होगी। खगोल विज्ञानियों का यह शोध जारी रहेगा।
