New Delhi News: केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिले उपहारों की सातवीं ई-नीलामी की घोषणा की है। यह नीलामी सत्रह सितंबर से दो अक्टूबर तक चलेगी। इस बार तेरह सौ से अधिक तोहफे ऑनलाइन बोली के लिए उपलब्ध रहेंगे।
नीलामी का आयोजन नई दिल्ली स्थित नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट द्वारा किया जा रहा है। केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इसकी औपचारिक घोषणा की। लोग वेबसाइट पर जाकर इन सांस्कृतिक धरोहरों पर बोली लगा सकते हैं।
नीलामी की विशेषताएं
इस नीलामी में कई अनोखे उपहार शामिल किए गए हैं। सबसे महंगा तोहफा एक मूर्ति है जिसकी कीमत दस लाख उनतालीस हज़ार पांच सौ रुपये तय की गई है। सबसे सस्ता तोहफा एक कपड़ा है जिसकी कीमत छह सौ रुपये है।
पैरा ओलंपिक मेडल विजेताओं के जूते भी नीलामी के लिए रखे गए हैं। अजीत सिंह, सिमरन शर्मा और निशाद कुमार के जूतों की कीमत सात लाख सत्तर हज़ार रुपये तय की गई है। राम मंदिर के मॉडल की कीमत पांच लाख पचास हज़ार रुपये है।
नीलामी का इतिहास और उद्देश्य
उपहारों की पहली नीलामी जनवरी 2019 में हुई थी। तब से लगातार प्रधानमंत्री मोदी को मिले हजारों उपहारों की नीलामी की जा चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने अपने सभी स्मृति चिन्हों को इस नेक काम के लिए समर्पित किया है।
यह नीलामी प्रधानमंत्री को मिले तोहफों को आम जनता तक पहुंचाने के उद्देश्य से की जा रही है। नीलामी से मिली राशि गंगा सफाई और जनकल्याण योजनाओं में लगाई जाएगी। अब तक करीब पचास करोड़ रुपये से अधिक की राशि एकत्र की जा चुकी है।
नीलामी में शामिल वस्तुएं
नीलामी की जाने वाली वस्तुओं में पेंटिंग, कलाकृतियां और मूर्तियां शामिल हैं। देवी-देवताओं की मूर्तियों के साथ ही कुछ खेल सामग्री भी नीलाम होगी। सभी उपहार नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट में प्रदर्शित किए गए हैं।
लोग इन्हें देखने के बाद ऑनलाइन बोली में हिस्सा ले सकते हैं। नीलामी की वेबसाइट पर सभी वस्तुओं की विस्तृत जानकारी उपलब्ध है। बोली प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी तरीके से संचालित की जा रही है।
सबसे कम दाम वाले तोहफे
लाल चुनरी विद गोल्ड मिरर छह सौ रुपये में उपलब्ध है। कमल चिन्ह वाला भगवा अंगवस्त्र आठ सौ रुपये में बोली के लिए रखा गया है। नारंगी कढ़ाई वाला अंगवस्त्र नौ सौ रुपये में उपलब्ध है।
ये सस्ते तोहफे आम लोगों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र हैं। इनकी कीमत कम होने के कारण अधिक से अधिक लोग इन्हें खरीद सकते हैं। इससे ज्यादा से ज्यादा लोग इस नेक काम में भाग ले सकेंगे।
