शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

दशहरा विवाद: तमिलनाडु में जलाया भगवान राम का पुतला, रावण लीला दिया था नाम; देशभर में मचा हंगामा

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Trichy News: देशभर में दशहरे के मौके पर रावण के पुतले जलाए जा रहे हैं, लेकिन तमिलनाडु के त्रिची में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यहां एक संगठन ने भगवान राम का पुतला जलाया। इस कार्यक्रम को रावण लीला का नाम दिया गया था। स्थानीय पुलिस को पहले से इसकी जानकारी थी, फिर भी उन्होंने अनुमति दे दी। इस घटना ने पूरे देश में एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है।

इस घटना ने धार्मिक भावनाओं को गहरा ठेस पहुंचाया है। भगवान राम को हिंदू धर्म में मर्यादा पुरुषोत्तम और धर्म का प्रतीक माना जाता है। उनके प्रतीकों के अपमान को लेकर लोगों में रोष है। यह घटना त्रिची के अयानपुथुर गांव में 30 सितंबर को हुई। एंथम तमिलर संगम नामक संगठन ने यह कार्यक्रम आयोजित किया था।

पिछले कुछ वर्षों में हिंदू देवी-देवताओं के प्रति इस तरह की घटनाएं बढ़ी हैं। तमिलनाडु के डिप्टी सीएम उदयनिधि स्टालिन ने भी पहले सनातन धर्म पर विवादित बयान दिए थे। उन्होंने सनातन की तुलना बीमारियों से की थी। इसके बावजूद उनके खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं हुई। विरोध के बाद भी उन्होंने अपने बयान वापस नहीं लिए।

इस मामले में पुलिस का रवैया भी सवालों के घेरे में है। पुलिस ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला देकर कार्रवाई से परहेज किया। संविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है, लेकिन यह असीमित नहीं है। धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना और नफरत फैलाना इसके दायरे में नहीं आता। इसलिए पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।

तमिलनाडु में हिंदू आबादी 88 प्रतिशत से अधिक है। यहां रामेश्वरम जैसे प्रमुख तीर्थस्थल हैं। फिर भी ऐसी घटनाएं होना चिंता का विषय है। कुछ लोग जानबूझकर हिंदू धर्म के प्रतीकों का अपमान करते हैं। उनका मकसद समाज में तनाव पैदा करना और धार्मिक एकता को कमजोर करना होता है।

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उत्तर भारत में भी हिंदू विरोधी गतिविधियां

यह समस्या सिर्फ दक्षिण भारत तक सीमित नहीं है। उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर में एक महिला ने मां दुर्गा का अपमान किया। उसने नवरात्रि के दौरान महिषासुर का गुणगान किया। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। जांच में पता चला कि उसने और उसके पति ने हिंदू धर्म छोड़कर ईसाई धर्म अपना लिया था। इसके बाद भी वे हिंदू देवताओं के खिलाफ वीडियो बना रहे थे।

ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां हिंदू धर्मग्रंथों और देवताओं का अपमान हुआ। कभी रामचरितमानस पर सवाल उठाए जाते हैं, तो कभी मां काली को अपमानित किया जाता है। डॉक्यूमेंट्री और सोशल मीडिया के जरिए यह प्रचार तेज हुआ है। इन सबके बावजूद हिंदू समुदाय ने हमेशा शांति बनाए रखी है।

हिंदुओं ने कभी हिंसा का रास्ता नहीं अपनाया। दूसरी तरफ, किसी और धर्म के एक पोस्टर पर देशभर में हिंसा भड़क उठती है। सड़कों पर पत्थरबाजी होती है और नफरत भरे नारे लगते हैं। लेकिन जब हिंदू धर्म की बात आती है, तो मामला एफआईआर तक ही सीमित रह जाता है। कई बार तो एफआईआर भी दर्ज नहीं होती।

रामलीला में बढ़ती अश्लीलता भी चिंता का विषय

दशहरा उत्सव के दौरान रामलीला का आयोजन होता है। इसका उद्देश्य भगवान राम के जीवन से लोगों को शिक्षा देना है। लेकिन अब रामलीला के नाम पर अश्लीलता बढ़ रही है। कई जगहों पर रामलीला में फूहड़ हरकतें की जा रही हैं। इन वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल किया जाता है।

लोग मनोरंजन के लिए इन्हें देख और फॉरवर्ड करते हैं। परिवार के साथ बच्चे भी रामलीला देखने जाते हैं। ऐसे में बच्चों के मन पर इसका बुरा असर पड़ता है। उनकी धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं। दिल्ली की एक रामलीला में पूनम पांडे को मंदोदरी की भूमिका दी जानी थी। साधु-संतों के विरोध के बाद इस फैसले को वापस लेना पड़ा।

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रामलीला को मनोरंजन का माध्यम नहीं बनाया जाना चाहिए। यह एक पवित्र धार्मिक प्रस्तुति है। अगर आपके इलाके में रामलीला के नाम पर अश्लीलता फैलाई जा रही है, तो इसका विरोध करें। इसे मनोरंजन समझकर नजरअंदाज न करें। इससे हमारी संस्कृति और परंपरा को नुकसान पहुंचता है।

रावण की पूजा करने वाले समूह

देश के कुछ हिस्सों में रावण की पूजा की जाती है। मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में रावण गांव है। यहां के लोग खुद को रावण का वंशज मानते हैं। दशहरे के दिन यहां रावण का पुतला नहीं जलाया जाता। उसकी पूजा और आरती की जाती है। यहां रावण का एक मंदिर भी बना हुआ है।

गांव वाले रावण को राक्षस कहलवाना पसंद नहीं करते। वे उसे महान विद्वान और शिवभक्त बताते हैं। लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि रावण ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया। वह अहंकारी और स्वार्थी था। उसने एक युद्ध को बुलावा दिया जिसमें उसके अपनों की जानें गईं। रावण बुराई का प्रतीक बना रहेगा।

वहीं, कालादेव गांव में एक अनूठी परंपरा है। यहां राम और रावण की सेना के बीच प्रतीकात्मक युद्ध होता है। रावण की सेना राम की सेना पर पत्थर फेंकती है। मान्यता है कि कोई भी पत्थर राम की सेना को नहीं लगता। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।

ये सभी घटनाएं देश में धार्मिक सद्भाव के लिए चुनौती पैदा कर रही हैं। हर धर्म का सम्मान करना और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सही इस्तेमाल करना जरूरी है। सरकार और प्रशासन को ऐसे मामलों में संवेदनशीलता दिखानी चाहिए। कानून का पालन सुनिश्चित करना चाहिए ताकि शांति और भाईचारा कायम रहे।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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