US News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 17 प्रमुख फार्मा कंपनियों को पत्र लिखकर दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी रोकने की चेतावनी दी। उन्होंने 60 दिन की समय सीमा दी, अन्यथा नई टैरिफ नीति लागू होगी। इस कदम से वैश्विक दवा उद्योग में हलचल मच गई। शेयर बाजार में फार्मा कंपनियों के स्टॉक्स में भारी गिरावट देखी गई। यह निर्णय अमेरिकी मरीजों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने की दिशा में उठाया गया कदम है।
किन कंपनियों को मिला पत्र?
ट्रंप ने जॉनसन एंड जॉनसन, मर्क, एस्ट्राजेनेका, सनोफी, एली लिली और रेजेनरॉन जैसी दिग्गज फार्मा कंपनियों को निशाना बनाया। इन कंपनियों को दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी को नियंत्रित करने के लिए 29 सितंबर तक जवाब देना होगा। ट्रंप का कहना है कि अमेरिकी मरीजों को वही दवाएं तीन गुना कीमत पर मिल रही हैं, जो अन्य देशों में सस्ती हैं। कंपनियों पर अतिरिक्त टैक्स लगाने की भी योजना है।
शेयर बाजार पर असर
ट्रंप के इस ऐलान से वैश्विक शेयर बाजार में हलचल मच गई। निफ्टी फार्मा इंडेक्स 3.5% तक गिरा। कई दवा और हेल्थकेयर कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई। मेटल और ऑयल सेक्टर के स्टॉक्स भी प्रभावित हुए। भारतीय टेक्सटाइल स्टॉक्स को भी इस निर्णय से झटका लगा। यह कदम दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी को रोकने के लिए उठाया गया है।
भारत पर क्या होगा प्रभाव?
भारत की फार्मा कंपनियों के लिए यह स्थिति दोधारी तलवार जैसी है। अगर अमेरिका में विदेशी दवाएं महंगी होती हैं, तो भारतीय जेनेरिक दवाओं की मांग बढ़ सकती है। हालांकि, कड़े नियम लागू होने पर भारतीय कंपनियों को व्यापारिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। ट्रंप की नीति का फोकस अमेरिका में निर्मित दवाओं को बढ़ावा देना है, जिससे विदेशी कंपनियों पर अतिरिक्त टैरिफ लग सकता है।
