Himachal News: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने पुलिस भर्ती में नशा टेस्ट अनिवार्य करने की घोषणा की। शिमला में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने बताया कि पहली स्टेज पर चिट्टा का डोप टेस्ट होगा। इसका मकसद नशे के कारोबार पर लगाम लगाना है। सरकार ने पांच-छह पंचायतों में एक पुलिस कांस्टेबल, आशा वर्कर और पंचायत सचिव की ड्यूटी लगाने का फैसला किया।
नशे के नेटवर्क पर कार्रवाई
मुख्यमंत्री ने कहा कि नशा तस्करी रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। पंचायत स्तर पर गठित टीमें चिट्टा नेटवर्क की निगरानी करेंगी। अगले चरण में भांग के नशे पर भी कार्रवाई होगी। सरकार ने पहली बार पीआईटी-एनडीपीएस एक्ट लागू किया। इसके तहत नशे के कारोबार में संलिप्त लोगों को हिरासत में लिया जाएगा। संदिग्धों की संपत्ति की भी जांच होगी।
सरकारी कर्मचारियों पर नजर
नशा तस्करी या सेवन में शामिल सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि चिट्टे से अर्जित संपत्ति को जब्त करने के लिए जल्द कानूनी कदम उठाए जाएंगे। हिमाचल सरकार ने नशे के खिलाफ अभियान को प्राथमिकता दी है। सुक्खू ने समाज से जागरूकता की अपील की। उनका कहना है कि सामूहिक प्रयासों से ही नशे पर नियंत्रण संभव है।
जागरूकता पर जोर
नशा के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने की जरूरत पर मुख्यमंत्री ने बल दिया। उन्होंने कहा कि समाज को मिलकर इस समस्या से लड़ना होगा। पुलिस भर्ती में डोप टेस्ट से नशे के प्रति सख्त रवैया अपनाया जाएगा। सरकार का लक्ष्य युवाओं को नशे से दूर रखना है। पंचायत स्तर पर निगरानी तंत्र को और मजबूत करने की योजना है।
