New Delhi News: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के शीतकालीन सत्र में पास हुए एक ऐतिहासिक विधेयक को मंजूरी दे दी है। सरकार ने शनिवार को ‘शांति’ (SAHANTI) विधेयक की अधिसूचना जारी कर दी है। इस नए कानून के तहत परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी का रास्ता साफ हो गया है। नागरिक परमाणु क्षेत्र के सभी नियम अब इसी विधेयक के अधीन होंगे। यह फैसला भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में बड़ी भूमिका निभाएगा।
पुराने कानूनों का अंत
शांति विधेयक ने देश के दो पुराने कानूनों को खत्म कर दिया है। इसमें 1962 का परमाणु ऊर्जा अधिनियम और 2010 का दायित्व कानून शामिल हैं। ये कानून परमाणु क्षेत्र के विकास में रोड़ा बन रहे थे। द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद अब निजी कंपनियां भी परमाणु प्लांट लगा सकेंगी। वे सरकार से लाइसेंस लेकर इनका निर्माण और संचालन कर सकती हैं।
सरकार के पास रहेगी कमान
निजीकरण के बाद भी सुरक्षा की चाबी सरकार के पास रहेगी। यूरेनियम और थोरियम का खनन केवल सरकारी संस्थाएं करेंगी। परमाणु कचरे का प्रबंधन और भारी जल उत्पादन भी सरकार के पास रहेगा। द्रौपदी मुर्मू द्वारा मंजूर इस बिल में रणनीतिक हितों का पूरा ध्यान रखा गया है। निजी कंपनियां केवल बिजली उत्पादन और प्लांट चलाने में सहयोग करेंगी।
