World News: एक अमेरिकी एनेस्थिसियोलॉजिस्ट ने मौत के करीब पहुंचने का अपना अनोखा अनुभव साझा किया है। भारतीय मूल के डॉक्टर राजीव पारती का दावा है कि उन्होंने नर्क और भगवान को देखा है। वर्ष 2008 में कैंसर उपचार के दौरान उनकी हृदय गति कुछ समय के लिए रुक गई थी। इस दौरान हुए अनुभव ने उनकी जीवनशैली को पूरी तरह बदल दिया।
नर्क का डरावना अनुभव
डॉक्टर पारती ने बताया कि उन्होंने दर्द और पीड़ा की चीखें सुनीं। वे एक जलती हुई सड़क पर धधकती घाटी के किनारे पहुंच गए। उनके नथुनों में धुएं और जले मांस की दुर्गंध भर गई। उन्हें एहसास हुआ कि वे नर्क के मुहाने पर खड़े हैं। यह अनुभव उनके लिए अत्यंत भयावह था।
जीवन में आमूलचूल परिवर्तन
इस घटना के बाद डॉक्टर पारती ने अपना जीवन पूरी तरह बदल दिया। उन्होंने बेकर्सफील्ड हार्ट हॉस्पिटल के मुख्य एनेस्थिसियोलॉजिस्ट पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपनी लक्जरी कारों और महंगे घर को बेच दिया। एक आंतरिक आवाज ने उनकी भौतिकवादी जीवनशैली की आलोचना की थी।
अनुभवों पर लिखी पुस्तक
डॉक्टर पारती ने अपने अनुभवों पर एक पुस्तक लिखी है। पुस्तक का नाम है ‘डाइंग टू वेक अप: ए डॉक्टर्स वॉयेज इनटू द आफ्टरलाइफ’। इसमें उन्होंने मृत्यु के बाद की दुनिया के अपने अनुभवों को विस्तार से बताया है। शुरू में उनके सहयोगियों ने इन बातों पर विश्वास नहीं किया।
नियर-डेथ एक्सपीरियंस क्या है
नियर-डेथ एक्सपीरियंस तब होता है जब कोई व्यक्ति मौत के बेहद करीब पहुंच जाता है। इसमें दिल का रुक जाना या गंभीर दुर्घटना शामिल हो सकती है। ऐसे में लोग शरीर से बाहर होने, रोशनी देखने या शांति अनुभव करने की बात करते हैं। वैज्ञानिक इसे मस्तिष्क की रासायनिक प्रक्रिया मानते हैं।
डॉक्टर पारती का मानना है कि मौत शरीर का अंत है, आत्मा का नहीं। उनके अनुसार मौत इस दुनिया से दूसरी दुनिया में जाने का एक दरवाजा है। इस अनुभव ने उन्हें जीवन का वास्तविक उद्देश्य समझाया। उनकी कहानी ने कई लोगों का ध्यान खींचा है।
