शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

डोनाल्ड ट्रंप: नाइजीरिया में ईसाइयों पर हमले रुके नहीं तो अमेरिकी सेना होगी तैनात

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World News: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नाइजीरिया सरकार को एक कड़ी चेतावनी जारी की है। ट्रंप ने कहा है कि यदि नाइजीरिया में ईसाइयों के नरसंहार पर तुरंत रोक नहीं लगी तो अमेरिकी सेना वहां सैन्य कार्रवाई करेगी। उन्होंने घोषणा की कि अमेरिका नाइजीरिया को मिलने वाली सारी सहायता तत्काल प्रभाव से रोक देगा। इस कदम का उद्देश्य देश में religious persecution को रोकना है।

ट्रंप ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उन्होंने रक्षा विभाग को तेज सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार रहने का निर्देश दे दिया है। उन्होंने नाइजीरियाई सरकार पर आरोप लगाया कि वह ईसाइयों की रक्षा करने में विफल रही है। ट्रंप ने चेतावनी दी कि अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप तेज और करारा होगा। उन्होंने आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई का संकल्प दोहराया।

अमेरिकी रक्षा विभाग की तैयारी

अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने ट्रंप के बयान का समर्थन किया है। उन्होंने पुष्टि की कि वे सैन्य कार्रवाई की तैयारी कर रहे हैं। हेगसेथ ने कहा कि यदि नाइजीरियाई सरकार इस्लामिक आतंकवाद से निपटने में असमर्थ रहती है तो अमेरिका को कदम उठाना होगा। उन्होंने आतंकवादी संगठनों को नेस्तनाबूत करने की बात कही। यह बयान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है।

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ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में नाइजीरिया को धार्मिक उत्पीड़न वाले देशों की सूची में शामिल किया था। इस सूची में पाकिस्तान, चीन, रूस और उत्तर कोरिया जैसे देश पहले से मौजूद हैं। इस कदम से अमेरिका की विदेश नीति में धार्मिक स्वतंत्रता के प्रति प्रतिबद्धता झलकती है। नाइजीरिया का इस सूची में शामिल होना एक बड़ा राजनीतिक संदेश माना जा रहा है।

नाइजीरिया की प्रतिक्रिया

नाइजीरिया के विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान जारी कर जवाब दिया है। बयान में कहा गया है कि देश आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है। सरकार ने आशा व्यक्त की कि अमेरिका इस लड़ाई में उसका सहयोगी बना रहेगा। नाइजीरियाई राष्ट्रपति बोला अहमद टिनुबु ने पहले धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा का वादा किया था। उनका दावा है कि सरकार सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

नाइजीरिया में बोको हराम आतंकवादी संगठन सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है। इस समूह ने हजारों ईसाइयों को निशाना बनाया है। धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले लगातार जारी हैं। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने भी इस स्थिति पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि सुरक्षा स्थिति में सुधार की तत्काल आवश्यकता है।

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अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

इस मामले ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। कई पश्चिमी देश नाइजीरिया में मानवाधिकार स्थिति को लेकर चिंतित हैं। वहीं कुछ देश किसी भी तरह के सैन्य हस्तक्षेत्र का विरोध कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र ने हिंसा रोकने के लिए शांति वार्ता का सुझाव दिया है। अफ्रीकी संघ ने क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने पर जोर दिया है।

विदेश नीति विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह बयान अमेरिकी चुनावों से पहले एक राजनीतिक संदेश है। धार्मिक स्वतंत्रता अमेरिकी विदेश नीति का एक प्रमुख एजेंडा रही है। नाइजीरिया में स्थिति कई वर्षों से चिंता का विषय बनी हुई है। अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप की संभावना से क्षेत्र की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।

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