Washington News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा आर्थिक फैसला लिया है। उन्होंने अमेरिका के बाहर बनी सभी फिल्मों पर सौ प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है। यह निर्णय उनकी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का हिस्सा है। इसका सीधा असर भारतीय फिल्म उद्योग पर पड़ेगा।
भारतीय फिल्मों का अमेरिकी बाजार में सालाना कारोबार बीस मिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है। ट्रंप ने यह घोषणा अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर की। उन्होंने कहा कि अमेरिकी फिल्म उद्योग को अन्य देशों ने ठगा है।
ट्रंप का तर्क और कैलिफोर्निया पर टिप्पणी
अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस फैसले के पीछे का कारण स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि फिल्म उद्योग को अन्य देशों ने अमेरिका से छीन लिया है। ट्रंप ने इसकी तुलना बच्चे से कैंडी छीनने से की। उन्होंने कैलिफोर्निया राज्य पर भी टिप्पणी की।
ट्रंप ने कहा कि कैलिफोर्निया का कमजोर और अक्षम गवर्नर इस समस्या का कारण है। उन्होंने लंबे समय से चली आ रही इस समस्या का समाधान करने का वादा किया। यह फैसला हॉलीवुड और अमेरिकी फिल्म निर्माताओं को संरक्षण देने के लिए लिया गया है।
भारतीय फिल्म उद्योग पर प्रभाव
ट्रंप के इस फैसले से भारतीय फिल्म उद्योग को गंभीर नुकसान हो सकता है। अमेरिका में भारतीय फिल्मों का बाजार तेजी से बढ़ रहा था। कोरोना महामारी से पहले यह बाजार आठ मिलियन डॉलर का था। अब यह बीस मिलियन डॉलर तक पहुंच गया है।
सौ प्रतिशत टैरिफ लगने से भारतीय फिल्मों की लागत दोगुनी हो जाएगी। इससे अमेरिका में इन फिल्मों का वितरण और प्रदर्शन मुश्किल हो जाएगा। भारतीय फिल्म निर्माताओं का एक महत्वपूर्ण विदेशी बाजार बंद हो सकता है।
फर्नीचर और दवा उद्योग पर भी टैरिफ
ट्रंप ने फिल्मों के अलावा अन्य उद्योगों पर भी टैरिफ की घोषणा की। उन्होंने फर्नीचर उद्योग को लेकर बड़ा एलान किया। उत्तरी कैरोलिना के फर्नीचर उद्योग को फिर से मजबूत करने का वादा किया। उन्होंने चीन और अन्य देशों पर टैरिफ लगाने की बात कही।
इससे पहले ट्रंप ने दवा उद्योग पर भी टैरिफ की घोषणा की थी। एक अक्टूबर 2025 से ब्रांडेड दवाओं पर सौ प्रतिशत शुल्क लगेगा। यह तब तक लागू रहेगा जब तक कंपनियां अमेरिका में उत्पादन नहीं शुरू करतीं। ये सभी निर्णय व्यापार संरक्षणवाद को दर्शाते हैं।
वैश्विक फिल्म उद्योग की प्रतिक्रिया
वैश्विक फिल्म उद्योग में इस फैसले पर चिंता व्यक्त की जा रही है। अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म मार्केट है। कई देशों की फिल्में अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं। भारत के अलावा यूरोपीय और एशियाई देशों की फिल्में भी प्रभावित होंगी।
अमेरिकी दर्शकों को विदेशी फिल्में देखने का अवसर कम मिलेगा। सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर भी असर पड़ेगा। फिल्म निर्माताओं को अपनी वितरण रणनीति बदलनी पड़ सकती है। अब वैकल्पिक बाजारों पर ध्यान देना होगा।
भारतीय उद्योग की तैयारी
भारतीय फिल्म उद्योग इस फैसले पर प्रतिक्रिया दे रहा है। निर्माता वैकल्पिक बाजारों पर विचार कर रहे हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के महत्व में वृद्धि हो सकती है। यूरोप और एशिया के अन्य बाजारों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है।
घरेलू बाजार को मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है। अमेरिकी बाजार में होने वाले नुकसान की भरपाई का रास्ता ढूंढा जा रहा है। फिल्म निर्माता इस मामले में सरकार से बातचीत की संभावना तलाश रहे हैं।
