Washington News: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस हफ्ते अपनी नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (NSS) जारी कर दी है। ट्रम्प प्रशासन की इस 33 पन्नों की नीति ने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी है। इसमें ‘अमेरिका फर्स्ट’ को ही विदेश और रक्षा नीति का मुख्य आधार बनाया गया है। डोनाल्ड ट्रम्प ने इस दस्तावेज में चीन के खिलाफ बेहद सख्त रुख अपनाया है। वहीं, भारत को अमेरिका का एक प्रमुख और मजबूत साथी बताया गया है। यह रणनीति अमेरिकी सीमाओं को सुरक्षित करने और घरेलू उद्योगों को फिर से जिंदा करने पर जोर देती है।
‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का कड़ा संदेश
इस नई रणनीति में अमेरिका को एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र बनाए रखने की कसम खाई गई है। डोनाल्ड ट्रम्प का कहना है कि सरकार का पहला दायित्व अपने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना है। इसके लिए देश की सीमाओं को मजबूत किया जाएगा। अवैध प्रवासियों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। दस्तावेज में दावा किया गया है कि डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने बहुत कम समय में अमेरिका की ताकत को ऐतिहासिक गति से बहाल किया है।
चीन पर डोनाल्ड ट्रम्प का सीधा वार
नई सुरक्षा रणनीति में चीन को अमेरिका का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी माना गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दशकों की अमेरिकी नीतियों ने चीन को आर्थिक रूप से ताकतवर बना दिया। इससे अमेरिकी उद्योग कमजोर हुए। डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन पर तकनीक चोरी और सरकारी सब्सिडी के जरिए बाजार बिगाड़ने का आरोप लगाया है। अमेरिका ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को अगली सदी का मुख्य आर्थिक और सामरिक रणक्षेत्र घोषित किया है।
भारत के साथ बढ़ेगी रणनीतिक साझेदारी
इस दस्तावेज में भारत का विशेष उल्लेख किया गया है। डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने भारत को एक महत्वपूर्ण वैश्विक भागीदार बताया है। अमेरिका का लक्ष्य भारत के साथ व्यापारिक और सामरिक रिश्तों को गहरा करना है। ‘क्वाड’ (Quad) देशों यानी भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच सहयोग बढ़ाया जाएगा। चीन के बढ़ते सैन्य प्रभाव को रोकने के लिए भारत की भूमिका को अहम माना गया है। विशेषकर ताइवान के आसपास चीन की आक्रामकता का जवाब देने के लिए यह साझेदारी जरूरी है।
क्लाइमेट चेंज की नीतियां खारिज
डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी रणनीति में ‘क्लाइमेट चेंज’ और ‘नेट जीरो’ जैसी नीतियों को विनाशकारी बताया है। उन्होंने इन नीतियों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। इसके बजाय, अमेरिका अब ‘ऊर्जा प्रभुत्व’ (Energy Dominance) पर ध्यान देगा। सप्लाई चेन को दोबारा अमेरिका लाया जाएगा। महत्वपूर्ण खनिजों की आसान उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी ताकि अमेरिका का औद्योगिक आधार दुनिया में सबसे मजबूत बन सके।
