Business News: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया मंगलवार को मजबूत हुआ। ट्रंप प्रशासन की टैरिफ धमकी के बावजूद रुपये ने तेजी दिखाई। रुपया शुरुआती गिरावट को पीछे छोड़कर 17 पैसे की बढ़त के साथ बंद हुआ। यह 89.88 रुपये प्रति डॉलर (अनंतिम) पर समाप्त हुआ। इस तेजी की वजह एक डॉलर की कीमत 90 रुपये से नीचे आ गई।
मंगलवार सुबह ट्रंप ने भारत को बासमती चावल पर टैरिफ की धमकी दी थी। इससे सुबह रुपया 10 पैसे की गिरावट के साथ खुला था। लेकिन बाद में बाजार ने पलटी मारी। डॉलर इंडेक्स और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने रुपये को सहारा दिया।
विदेशी मुद्रा बाजार का हाल
इंटरबैंक विदेशीमुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 90.15 पर खुला। यह पिछले बंद भाव से 10 पैसे कम था। लेकिन दिन भर कारोबार के दौरान रुपये ने गिरावट पलट दी। यह 89.88 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। पिछले दिन रुपया 90.05 पर समाप्त हुआ था।
फॉरेक्स व्यापारियों का कहना है कि रुपये को कई कारकों से सहारा मिला। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद ने डॉलर को कमजोर किया। विदेशी बाजार में डॉलर के दबाव से घरेलू मुद्रा को लाभ मिला। हालांकि शेयर बाजार में गिरावट ने रुपये की तेजी को सीमित रखा।
डॉलर और कच्चे तेल में दिखी गिरावट
छह प्रमुख मुद्राओंके मुकाबले डॉलर की ताकत को दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स 0.10 प्रतिशत गिरा। यह 98.98 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में भी कमी आई। ब्रेंट क्रूड वायदा 0.27 प्रतिशत गिरकर 62.33 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
तेल की कीमतों में गिरावट से भारत जैसे आयातक देश को फायदा होता है। यह रुपये पर दबाव को कम करता है। व्यापारियों का ध्यान अब 9-10 दिसंबर को होने वाली फेड बैठक पर केंद्रित है। बाजार इस बैठक में 25 आधार अंक की ब्याज दर कटौती की 90 प्रतिशत संभावना जता रहा है।
शेयर बाजार और विदेशी निवेश
घरेलूशेयर बाजारों ने मंगलवार को गिरावट दर्ज की। बीएसई सेंसेक्स 436.41 अंक गिरकर 84,666.28 पर बंद हुआ। एनएसई निफ्टी 120.90 अंक की गिरावट के साथ 25,839.65 पर समाप्त हुआ। शेयर बाजार में यह गिरावट निवेशकों के मूड को प्रभावित करती है।
विदेशी संस्थागत निवेशकों ने सोमवार को शेयर बेचे। एक्सचेंज आंकड़ों के अनुसार एफआईआई ने 655.59 करोड़ रुपये के शेयरों की निवल बिकवाली की। विदेशी पूंजी का बहिर्वाह रुपये पर दबाव डालता है। लेकिन मंगलवार को अन्य कारकों ने इस दबाव की भरपाई कर दी।
विश्लेषकों का दृष्टिकोण
मिराए एसेट शेयरखान केशोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने स्थिति समझाई। उन्होंने कहा कि आरबीआई के हस्तक्षेप और तेल कीमतों में गिरावट से रुपया उबरा। कमजोर घरेलू बाजार और डॉलर इंडेक्स में सुधार ने तेजी को थामा। दिसंबर में फेड की दर कटौती की उम्मीद से डॉलर कमजोर रह सकता है।
केंद्रीय बैंक का कोई भी हस्तक्षेप रुपये को सहारा देगा। अमेरिकी डॉलर-भारतीय रुपये की हाजिर कीमत 89.50 से 90.30 के बीच रहने की उम्मीद है। विश्लेषकों का मानना है कि बाजार फेड की बैठक के परिणाम का इंतजार कर रहा है। इससे पहले बाजार में सतर्कता बनी रह सकती है।
भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता
इस बीच भारत और अमेरिकाके बीच व्यापार वार्ता शुरू हो रही है। दोनों देश प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण पर बातचीत करेंगे। तीन दिवसीय यह वार्ता 10 दिसंबर से शुरू होगी। इस वार्ता के परिणाम भी मुद्रा बाजार को प्रभावित कर सकते हैं।
व्यापारिक तनाव कम होने से बाजार में सकारात्मकता आती है। टैरिफ संबंधी मुद्दों के समाधान से निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा। इससे रुपये को दीर्घकाल में सहारा मिल सकता है। बाजार इस वार्ता के विकास पर भी नजर रखे हुए है।
