India News: इस वर्ष दिवाली का पर्व छह दिनों तक मनाया जा रहा है। धनतेरस से शुरू हुआ यह पर्व भाई दूज के साथ समाप्त होगा। गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर को और भाई दूज 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा। दिवाली का मुख्य पर्व 20 अक्टूबर को महालक्ष्मी पूजा के रूप में मनाया गया।
गोवर्धन पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। इस बार प्रतिपदा तिथि 21 अक्टूबर की शाम से शुरू हो रही है। यह तिथि 22 अक्टूबर की रात तक रहेगी इसलिए गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त
गोवर्धन पूजा के लिए प्रातःकाल मुहूर्त सुबह 6:26 से 8:42 बजे तक है। सायंकाल मुहूर्त दोपहर 3:29 से शाम 5:44 बजे तक रहेगा। प्रतिपदा तिथि 21 अक्टूबर को शाम 5:54 बजे से शुरू होकर 22 अक्टूबर को रात 8:16 बजे तक रहेगी।
गोवर्धन पूजा को अन्नकूट उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व भगवान श्री कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की घटना की याद में मनाया जाता है। इस दिन गोवर्धन पर्वत और गोवर्धन देव की पूजा की जाती है।
भाई दूज का शुभ समय
भाई दूज 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र के लिए तिलक करती हैं। भाई दूज का शुभ समय दोपहर 1:13 से 3:28 बजे तक है। द्वितीया तिथि 22 अक्टूबर को रात 8:16 बजे से शुरू होगी।
यह तिथि 23 अक्टूबर को रात 10:46 बजे तक रहेगी। भाई दूज के दिन भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने की परंपरा है। बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं।
गोवर्धन पूजा का धार्मिक महत्व
गोवर्धन पूजा का संबंध भगवान श्री कृष्ण से है। पौराणिक कथा के अनुसार श्री कृष्ण ने इंद्र के क्रोध से ब्रजवासियों की रक्षा की थी। उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया था। सभी ब्रजवासी सात दिन तक पर्वत के नीचे सुरक्षित रहे।
इस दिन किसान और ग्रामीण समुदाय विशेष पूजा करते हैं। वे वर्ष भर की सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करते हैं। गोवर्धन पूजा समृद्धि और शांति के लिए मनाई जाती है। गायों और बैलों की पूजा का विशेष महत्व होता है।
भाई दूज की परंपराएं
भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाती हैं। वे उनके स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना करती हैं। भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं। यह पर्व भाई-बहन के प्यार को मजबूत करता है।
इस दिन विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं। बहनें भाइयों के लिए मिठाई तैयार करती हैं। पारिवारिक मेलजोल बढ़ाने का यह अवसर होता है। रिश्तों में प्रेम और सद्भावना बढ़ती है।
दिवाली के इन पर्वों का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह त्योहार पारिवारिक एकता और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देते हैं। सभी को शुभकामनाएं देते हुए यह पर्व मनाए जाते हैं।
